छह साल पहले रांची के एक गांव से कुछ लोग 11 साल की बच्ची का अपहरण कर दिल्ली ले आए। फिर छह साल तक बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ और अलग अलग घरों में काम कराया गया लेकिन मेहनताना हड़प लिया। जब बच्ची इस साल अक्तूबर में एक परिवार के सम्पर्क में आई तो वारदात का खुलासा हुआ। पांच भाई बहनों में सबसे छोटी 11 साल की बच्ची 2014 में अपने घर से बिना बताए देर रात को दशहरा मेला देखने चली गई। बच्ची को मेले में पहले जानकार कुंवर और अमन नाम के व्यक्ति मिले। उन्होंने बच्ची को बताया कि उसका भाई बीमार है और बहाना बनाकर अपने साथ लेकर चल दिए। तीनों दो दिन तक जंगल में मौजूद झोपड़ी में रहे और फिर ट्रेन पकड़कर दिल्ली आ गए।
छह साल तक यौन शोषण और बेगारी
इसके बाद बच्ची को प्रेम नगर की तंग गलियों में रखा गया। जब पीड़िता ने विरोध किया तो उसे झाड़ू से मारा गया और कपड़े भी उतार दिए गए। जब भागने की कोशिश की तो बंधक बना दिया गया। पीड़िता ने एक साल तक बिना मेहनताना के घरेलू काम किया और इसके बाद कुंवर ने उसे अगर नगर स्थित चम्पा नाम की महिला घर में रख दिया। पीडिता ने बताया कि यहां पर उसके साथ दस लड़कों ने दुष्कर्म किया जिसमें शुभम को वह पहले से जानती थी।
फिर पीड़िता राणा प्रताप बाग की कोठियों में घरेलू काम करते हुए अपना जीवन बिताने लगी। लेकिन दो साल बाद फिर कुंवर के कहने पर शुभम उसे अपने साथ लेकर अगर नगर अपने घर आया। फिर वह आए दिन किशोरी से दुष्कर्म करता था। यौन शोषण और बेगारी करते हुए पीड़िता को कुछ दिनों पहले रोहिणी सेक्टर 11 स्थित एक कोठी में काम करने के लिए भेजा गया। वहां पर पीड़िता ने घर की मालकिन से अपनी पूरी कहानी बताई तो उन्होंने पहले राजेंद्र नगर थाने को सूचना दी। लेकिन जांच के दौरान मामला प्रेम नगर थाने का पाया गया तो एफआईआर यहां भेज दी गई। जांच में पुलिस को मालूम हुआ है कि वारदात का एक आरोपी शुभम दुष्कर्म के एक मामले में खूंटी जेल में बंद है। फिलहाल पुलिस ने शुभम के प्रोडक्शन वारंट लेने की तैयारी कर रही है ताकि अन्य आरोपियों की तलाश की जा सके।
परिवार ने छोड़ी थी जिंदा रहने की उम्मीद
जब दिल्ली पुलिस किशोरी को लेकर उसके गांव पहुंची तो किसी को भरोसा ही नहीं हुआ। माता पिता ने अपनी बेटी के जिंदा रहने की उम्मीद ही खो दी थी। उन्होंने गुमशुदगी को लेकर स्थानीय थाने में शिकायत भी दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई तो थक हार कर बैठ गए।
किराए तक के लिए पैसे नहीं दिए
पीड़िता ने बताया कि दिल्ली आने के तीन साल बाद उसने कुंवर से गांव जाने के लिए किराया मांगा। लेकिन उसे रुपये नहीं होने की बात कहकर टरका दिया। साथ ही उसने पीड़िता से और अधिक मेहनत करने के लिए कहा। लेकिन वह पीड़िता का मेहनताना अपने पास रख लेता था।