उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अपनी मांगे पूरी न होने के विरोध में हड़ताल कर रहे बिजली कर्मियों के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है। हाईकोर्ट ने संयुक्त संघर्ष समिति के 28 पदाधिकारियों, बिजलीकर्मी नेताओं का एक महीने का वेतन रोकने के दिए निर्देश है। कोर्ट का कहना है कि, यह उन लोगों के लिए चेतावनी है जो क़ानून को तोड़ना चाहते हैं।
बता दें कि बिजली कर्मचारियों के हड़ताल से विद्युत आपूर्ति ठप होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है और हड़ताल को मैन मेड डिजास्टर की संज्ञा दी है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि, 28 पदाधिकारियों का एक महीने का वेतन रोक लिया जाए। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा है कि भविष्य में इस प्रकार की हड़ताल न की जाए। वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार से हड़ताल से हुए नुकसान का ब्यौरा माँगा और कहा कि दोषी कर्मचारियों से इसकी भरपाई की जाएगी।
आदेश का सरकार व कर्मचारियों की बातचीत पर नहीं होगा असर
हाई कोर्ट ने कहा कि हड़ताली भी समाज का हिस्सा है। उनके भी परिवार और बच्चे हैं, जिनके इलाज व पढ़ाई में समस्या उत्पन्न हुई होगी। यह ध्यान रखना चाहिए कि एक अंक कम होने से छात्र का भविष्य चौपट हो सकता है। बिजली न होने से छात्र की विफलता की भरपाई नहीं की जा सकती। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि इस आदेश का सरकार व कर्मचारी नेताओं की बातचीत पर असर नहीं पड़ेगा। पूर्ववत चर्चा जारी रखी जाय। वे अपनी मांग के समर्थन में विरोध का अन्य तरीका अपना सकते हैं।