अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी देशों ने अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान (TTP) जैसे आंतकियों के खतरे को लेकर एक गोपनीय बैठक की है। जिसके बाद अफगानिस्तान में एक बार फिर से अमेरिकी एक्शन का खतरा मंडराने लगा है। इसमें पाकिस्तानी सेना के लिए काल बन चुके तहरीक-ए-तालिबान आतंकियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए भी बड़ा खतरा माना गया है।
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान पर हाल ही में बनाए गए ग्रुप ने पिछले महीने पेरिस में एक गोपनीय बैठक की जिसमें अफगानिस्तान में आतंकियों की सक्रियता पर पाकिस्तानी पक्ष का समर्थन किया गया है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका तालिबान के उदारवादी धड़े को बढ़ा सकता है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक यह गोपनीय बैठक यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने पर आयोजित की गई थी। इससे यह भी पता चलता है कि यूक्रेन युद्ध के बाद भी अमेरिका ध्यान अफगानिस्तान पर बना हुआ है। इस बयान में कहा गया है कि टीटीपी, आईएसकेपी जैसे आतंकी संगठन अफगानिस्तान, इस क्षेत्र और उसके आगे दुनिया की सुरक्षा और स्थिरता को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। इस बैठक में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से कहा गया है कि वह इन गुटों को सुरक्षित ठिकाना न दे।
20 फरवरी को पेरिस में हुई इस बैठक में अफगानिस्तान के लिए ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नार्वे, स्विटजरलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। इसमें अफगानिस्तान पर बिगड़ते हुए हालात पर चर्चा की गई थी। इस बैठक के बारे में करीब दो सप्ताह तक कोई बयान नहीं दिया गया था। अब अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इस पर बयान जारी किया है। इसमें अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी गुटों जिसमें टीटीपी भी शामिल है, को लेकर गहरी चिंता जताई गई है।