उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस साल फरवरी में हुए दंगों के दौरान गोली लगने से घायल हुए व्यक्ति के मामले में दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने संबंधी आदेश पर एक अदालत ने गुरुवार को रोक लगा दी। दंगों के दौरान हमले में गोली लगने से व्यक्ति की आंख में चोट आई थी।
अदालत ने कहा कि इस मामले में पीड़ित मोहम्मद नासिर की शिकायत पर पहले ही भजनपुरा थाने में संबंधित धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है। नासिर ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि दंगों के दौरान नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी और सुशील की अगुवाई वाली भीड़ ने उस पर हमला किया था। साथ ही दावा किया कि इस मामले में पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की है।
मजिस्ट्रेट अदालत ने 21 अक्टूबर को भजनपुरा थाने के प्रभारी को आदेश प्राप्ति के 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने मजिस्ट्रेट अदालत के निर्देशों पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी और शिकायतकर्ता नासिर को नोटिस जारी कर छह नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा। पुलिस ने 21 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक नरेश कुमार गौड़ ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर इस मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। ऐसे में एक ही घटना की दो एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती हैं।
दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।