श्रीलंका और पाकिस्तान चीनी कर्ज से बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। पाकिस्तान पर तो कुल विदेशी कर्ज का 30 फीसदी हिस्सा चीन का है। वहीं, श्रीलंका के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। बड़ी बात यह है कि श्रीलंका चीनी कर्ज के कारण डिफॉल्ट बना, लेकिन अब भी ड्रैगन श्रीलंका को अपने नए जाल में फंसाने के लिए सरकार पर डोरे डाल रहा है। एक शीर्ष चीनी कंपनी कोलंबो के पास एक राजमार्ग बनाने की अनुमति के लिए श्रीलंकाई सरकार के साथ कड़ी पैरवी कर रही है, जबकि बीजिंग संकटग्रस्त श्रीलंका को अपने ऋण देने के वादे से पीछे हट रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य के स्वामित्व वाली चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (सीएचईसी) ने कोलंबो शहर के प्रवेश द्वार पर न्यू केलानिया पुल और उसके बाहरी इलाके में अथुरुगिरिया को जोड़ने वाले एक एलिवेटेड हाईवे के निर्माण के लिए लंका के सरकारी अधिकारियों के साथ लॉबिंग तेज कर दी है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए लंका आयोग (सीआईएबीसी) द्वारा चल रही जांच के कारण कंपनी विवाद में फंस गई है। इस परियोजना को नकारात्मक पर्यावरणीय परिणामों के आधार पर भी चुनौती दी जा रही है।
CHEC, जिस पर अतीत में महिंदा राजपक्षे के चुनाव अभियान को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया गया है, ने 2021 में कोलंबो पोर्ट के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल (ECT) को विकसित करने का अनुबंध किया था। 2015 के श्रीलंकाई राष्ट्रपति चुनाव के दौरान राजपक्षे के अभियान को वित्त पोषित करने वाली रिपोर्टों के बाद CHEC की जांच के लिए बुलाया था। सीएचसी ने इससे इंकार किया है। हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करते हुए CHEC हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय है।
हाल ही में CHEC की सहायक कंपनी चाइना हैबर इंजीनियरिंग LFTZ एंटरप्राइज (CHELE) ने लेक्की पोर्ट (नाइजीरिया) के निर्माण को पूरा करने की घोषणा की थी, जो पश्चिम अफ्रीका के सबसे बड़े गहरे समुद्र के बंदरगाहों में से एक है। लेक्की पोर्ट को “गेम चेंजर” के रूप में वर्णित किया गया है जो नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देगा, जिससे लगभग 170,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। इस बीच, CHEC पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट पर ड्रेजिंग ऑपरेशन शुरू करने के करीब है। 57 मिलियन डॉलर की इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य बंदरगाह क्षेत्र की 14.5 मीटर प्राकृतिक और मूल परिचालन गहराई हासिल करना है।