दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस हेल्पलाइन नम्बर ‘100′ पर फोन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जान से मारने की धमकी देने के मामले में एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने के लिए कोई भी सबूत पेश करने में ‘‘पूरी तरह से विफल” रहा है कि आरोपी व्यक्ति ने किसी को जान से मारने की धमकी दी थी।
आनंद पर्वत पुलिस ने जनवरी 2019 में ‘हेल्पलाइन’ पर फोन करने और प्रधानमंत्री के खिलाफ अपमानजनक भाषा और जान से मारने की धमकी देने के मामले में मोहम्मद मुख्तार अली के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 (दो) के तहत आरोप पत्र दायर किया था। धारा 506 आपराधिक धमकी से संबंधित है और इसका दूसरा भाग जान से मारने की धमकी देने वाले लोगों के खिलाफ लगाया जाता है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शुभम देवदिया ने पिछले महीने सुनाए गए आदेश में कहा था कि अली के खिलाफ आरोप की पुष्टि के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य एक हस्तलिखित सामान्य डायरी प्रविष्टि और पीसीआर फॉर्म (पुलिस नियंत्रण कक्ष को किए गए कॉल की सामग्री या विवरण के बारे में एक प्रपत्र) था। उन्होंने कहा कि संबंधित सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) द्वारा पीसीआर फॉर्म न लेने के संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, जो कथित तारीख पर फोन करने वाले व्यक्ति द्वारा की गई सटीक बातचीत या बयान को साबित करने के लिए महत्वपूर्ण था।
अदालत ने कहा कि साथ ही जिस नंबर से कथित तौर पर फोन किया गया था, वह सुरद अली के नाम से जारी था। अदालत ने कहा कि इस व्यक्ति की भूमिका की जांच नहीं की गई और एएसआई ने केवल इतना कहा कि वह व्यक्ति को नहीं ढूंढ सके। अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष किसी भी उस सबूत को पेश करने में पूरी तरह से विफल रहा, जिससे यह साबित होता हो कि किसी को जान से मारने की धमकी दी गई थी।” मजिस्ट्रेट देवदिया ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष अभियुक्त के अपराध को साबित करने में विफल रहा है और इसलिये उसे बरी किया जाता है।”