बिहार चुनाव के पहले चरण की कुल 71 में 35 सीटें नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं। इन इलाकों में लोगों ने बैखौफ मतदान किया। इस तरह नक्सली खौफ पर लोकतंत्र का उत्साह भारी पड़ा। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का वोट प्रतिशत यह साबित करता है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच श्रीनिवास ने भी कहा कि पहले चरण में ही अधिकांश बूथ नक्सल प्रभावित क्षेत्र में थे। इन सभी जगहों पर भी शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हुए।
भय के माहौल बनाने की कोशिश करने वालों के मंसूबे को जनता ने नाकाम कर दिया है। इन इलाकों में मतदाताओं ने बेखौफ होकर मतदान की। बूथों पर सुबह से ही मतदाताओं की लंबी कतार लगने लगी जो शाम तक बरकरार रही। कुछ जगहों पर नक्सलियों ने मतदान को प्रभावित करने का प्रयास किया, लेकिन वह अपनी मंशा में सफल नहीं हो सके। इधर नक्सल प्रभावित जिलों में शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए प्रशासन द्वारा भी विशेष तैयारी की गई थी। ताकि जमुई, गया, नवादा, औरंगाबाद जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सली चुनाव कार्य मे खलल नहीं डाल सके। गया के इमामगंज, कोंच, टेकारी, शेरघाटी इलाकों में भी नक्सली अपनी मांद में छिपे रहे। इसी तरह औरंगाबाद जिले के देव, मदनपुर, कुटुंबा और नबीनगर ने भी नक्सली चुनाव कार्य मे बाधा नहीं डाल सके।
नवादा के गोविंदपुर और रजौली के अलावा जमुई में भी शांतिपूर्ण चुनाव हुआ। औरंगाबाद जिले में सीआरपीएफ की 107 कंपनियां तैनात थी,जिनकी नजर चप्पे-चप्पे पर थी। अन्य प्रभावित जिलों में भी जवानों का भ्रमण लगातार क्षेत्रों में जारी रहा। कई जगहों पर इनलोगों ने कैंप भी बना रखा था। ताकि कोई भी नक्सली गतिविधि करने की कोशिश भी ना कर सके। तमाम बूथों पर सीआरपीएफ जवानों को तैनात कर दिया गया था। यही वजह रही कि नक्सली किसी तरह की हिंसा नहीं फैला सके।
गौरतलब हो कि गया, औरंगाबाद, लखीसराय एवं जमुई सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिले हैं। वहीं नवादा, मुंगेर, रोहतास में भी नक्सली गतिविधियां रहती है। इन पर सुरक्षा जवानों की विशेष नजर है। इन जिलों में चुनाव के पहले से ही निरंतर जांच व छापेमारी अभियान चलाया जा रहा था। इसमें सीआरपीएफ व एसएसबी के अलावा एसटीएफ व बीएमपी की टीम भी एरिया डोमिनेशन कार्रवाई में लगी थी।
सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में मतदान का प्रतिशत
गया : 57.05
जमुई : 57.41
लखीसराय : 55.44
औरंगाबाद : 52.85