उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के द्वारा बिहार के तर्ज पर जातीय जनगणना कराने के मांग पर कहा कि आखिर जातिगत जनगणना की वकालत करने वाली समाजवादी पार्टी के लिए यह बेहतर होता कि यदि इस कार्य को यह पार्टी अपनी सरकार में ही पूरा कर लेती तो आज उनको बीजेपी की सरकार से बार-बार इसकी यह मांग नहीं करनी पड़ती। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के बजट से प्रदेश के 24 करोड़ के लोगों को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
सपा ने क्यों नहीं कराया गणना
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने बृहस्पतिवार को ट्वीट कर सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जातिगत जनगणना की वकालत करने वाली समाजवादी पार्टी के लिए यह बेहतर होता कि यदि इस कार्य को यह पार्टी अपनी सरकार में ही पूरा करा लेती तो आज उनको बीजेपी की सरकार से बार-बार यह मांग नहीं करना पड़ता, जबकि BSP यह चाहती है कि जातिगत जनगणना केवल अकेले यू.पी में ही नहीं बल्कि पूरे देश में व एक साथ होनी चाहिए, ताकि जातिवार लोगों की संख्या की सही स्थिति सामने आ सके जिसके लिए केंद्र की सरकार को ही आगे आना होगा।
बजट केवल औपचारिकता पूरा करने के लिए
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो ने कहा कि यूपी भाजपा सरकार में भी हर वर्ष बजट की केवल औपचारिकता पूरी करने के कारण ही इससे हर साल युवाओं, बेरोजगारों व गरीबों आदि की उम्मीदें टूट कर बिखर रही हैं और आम जनता का जीवन लगातार लाचार व मजबूर बना हुआ है, तो फिर ऐसे में यूपी में भाजपा की ‘डबल इंजन की सरकार होने का यहाँ की लगभग 24 करोड़ जनता को क्या लाभ? यूपी बजट को खोखला व यूपी की जरूरतों के मुताबिक आधा-अधूरा बताते हुए सुश्री मायावती जी ने अपने ऑकलन में कहा कि बजट कैसा होगा इसकी झलक माननीय राज्यपाल के अभिभाषण में ही दो दिन पहले मिल चुकी थी, क्योंकि यूपी भाजपा सरकार के उस नीतिगत दस्तावेज में ऐसा कुछ खास नहीं था जो लोगों के बेचैन व त्रस्त जीवन में थोड़ी सहूलियत व अपेक्षित राहत पहुँचा सके। खासकर सपा व बीजेपी यू.पी. में विकास के जिन कार्यों को अपना कहकर भुना रही है, उनमें से अधिकांश कार्यों की रूपरेखा BSP की सरकार में ही तैयार कर दी गई थी तथा काफी कार्य शुरू भी कर दिया गया था, यही सच है।