हाथरस केस में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को दी है। इसलिए अब सुरक्षा में लगे यूपी पुलिसकर्मी के कर्मचारी इस इंतजार में है कि जल्द ही अर्ध सैनिक बल आये और उन्हें कुछ राहत मिले।
चंदपा के गांव बूलगढ़ी 22 सितम्बर से पुलिस बल तैनात है। लेकिन जैसे ही 29 सितम्बर को पीड़िता की मौत हुई तो एसपी ने पीड़ित पुख्ता सुरक्षा लगा दी। पूरे परिवार के साथ सुरक्षाकर्मी लगा दिये गये हैं। घर के बाहर और गांव में चारों तरफ पुलिस बल तैनात है। पीएसी की डेढ़ कंपनी अलग से मुस्तैद है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा सीआरपीएफ से कराने के लिए कहा है। बुधवार को पीड़ित परिवार की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी यही इंतजार करते रहे कि जल्दी से सीआरपीएफ आये और उन्हें गांव में ड्यूटी से राहत मिले।
पीड़ित परिवार बेटी के चक्कर में नहीं कर सका फसल की देखरेख
पीड़ित परिवार पुलिस सुरक्षा में बाजरे को कटवाने के बाद रात में ही थ्रेसर मंगाकर निकलवा लिया। फसल की समय से सिंचाई न होने के कारण पैदावार प्रभावित हुई है। इससे परिवार को नुकसान हुआ है। बूलगढ़ी में पीड़िता के पिता के नाम करीब पांच बीघा पट्टे की जमीन है। उन्होंने अपने खेत में बाजरे की फसल बो रखी थी, लेकिन 14 सितम्बर को बेटी के साथ हुई वारदात के बाद पूरा परिवार बेटी को बचाने के चक्कर में व्यस्त हो गया। उसी बीच में बाजरे की फसल में पानी लगने का समय था, लेकिन पूरा परिवार पहले बेटी के साथ अलीगढ़ मेडिकल कालेज में रहा। बाद में दिल्ली तक गया। वहां 29 सितम्बर को पीड़िता की मौत हो गयी। उसके बाद लोगों का आना जाना और जांच के चक्कर में परिवार के सदस्य घर से नहीं निकले। इसलिए बाजरे की फसल पूरी तरह से सूख गयी। मंगलवार की दोपहर को फसल को मजदूरों से कटवाया गया। रात में ही उसे निकाला गया। पांच बीघा खेत में करीब तीन कुंतल बाजरे की पैदाबार हुई है। जोकि काफी कम है। पीड़िता के छोटे भाई का कहना है कि फसल में पानी नहीं लग सका। इससे कम पैदावार हुई है।