पूर्व मंत्री व सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से अयोध्या के साधु-संत ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय भी नाराज हैं । बाबरी मस्जिद विवाद के मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा है कि भगवान राम के सेवक हनुमान जी हैं और हनुमानजी से बच के रहना चाहिए। भगवान राम के जीवन पर आधारित ग्रंथ रामचरित मानस लिखी गई है। हिंदुओं के लिए आस्था का विषय है। राम चरित मानस पर कुछ भी बोलने से पहले सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हनुमान जी को गुस्सा आ गया है तो बहुत बुरा होगा। अंसारी ने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी के धार्मिक ग्रंथ पूजनीय हैं। जब से सृष्टि का निर्माण हुआ है तब से ही रामचरित मानस सनातन धर्म और हिंदू समाज के द्वारा पढ़ी और समझी जा रही है।
क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने?
बता दें कि मौर्य ने रविवार को कहा था, “धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो, तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं, बल्कि अधर्म है।” उन्होंने आरोप लगाया था, “रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है। इससे इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं।” मौर्य ने मांग की थी, “रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश, जो जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर समुदायों का अपमान करते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।”
ये स्वामी प्रसाद का निजी बयानः शिवपाल
शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो कहा ये उनके निजी विचार हैं, पार्टी इससे इत्तेफाक नहीं रखती हैं। हम लोग राम और कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग हैं। प्राण जाए पर वचन न जाए का पालन करने वाले लोग हैं लेकिन क्या बीजेपी भगवानों के आदर्शों पर चल रही है, उन्होंने कहा कि जहां भगवान कभी झूठ नहीं बोलते हैं। वहीं बीजेपी के लोग सिर्फ झूठ बोलते हैं, वह भगवान को ही बेच रहे हैं।