मुंबई 26/11 हमले में कई लोगों की जान बचाने वाली स्टाफ नर्स अंजली कुलथे ने बृहस्पतिवार को बताया कि जब वह जेल में बंद पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब से मिलीं तो उसे अपनी करनी पर ‘‘जरा सा भी अफसोस नहीं था।” ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बैठक : आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक रूख : चुनौतियां और आगे का रास्ता” को वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित करते हुए कुलथे ने हमला पीड़ितों के डर को याद किया। मुंबई में पांच महत्वपूर्ण जगहों पर पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने एक साथ बंदूकों और बम से हमला कर दिया था।
इन हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हमले के वक्त ‘कामा एंड आलब्लेस हॉस्पिटल फॉर वुमेन एंड चिल्ड्रेन’ में बतौर स्टाफ नर्स काम कर रहीं कुलथे ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को बताया कि जीवित पकड़े जाने के बाद कसाब जब जेल में बंद था, तब वह उससे मिली थीं और उसे (कसाब) ‘‘जरा सा भी अफसोस” नहीं था। कुलथे ने कसाब सहित दो आतंकवादियों को अस्पताल के दरवाजे से घुसते और सुरक्षा गार्डों को गोली मारते हुए देखा था।
लश्कर के आतंकवादियों ने मुंबई की पांच महत्वपूर्ण जगहों…. छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन, नरीमन हाउस के व्यवसायों और आवासीय परिसर, कामा अस्पताल, लियोपोल्ड कैफे, ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल और ताज होटल एंड टावर को निशाना बनाया था। इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद के कारण चुकायी जाने वाली मानव जीवन की कीमत की यादें साझा करने के लिए कुलथे को धन्यवाद दिया और उन्हें ‘‘26/11 हमले की बहादुर पीड़िता बताया।”