भारत ने जिस चीनी सैनिक को लद्दाख में पकड़ा था, उसे सुरक्षित लौटा दिया है। भारतीय सेना ने चीन को उसके सैनिक को लौटा दिया है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर लद्दाख आ गया था। मंगलवार रात (20 अक्टूबर) को चुशूल मोल्दो में बैठक स्थल पर पीएलए के सिपाही कॉर्पोरल वांग हां लॉन्ग को चीनी सेना को सौंप दिया। भारत ने महज दो दिन के भीतर ही चीन को उसके सैनिक को वापस कर दिया। मगर ये वही चीन है जिसने भारत के पांच नागरिकों को छोड़ने में आठ दिन का समय लगाया था।
दरअसल, पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर जारी तनातनी के बीच भारतीय सेना ने एक चीनी सैनिक को पकड़ा था। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि उसका एक सिपाही रविवार (18 अक्टूबर) रात को सीमा के पास से लापता हो गया। इसके बाद चीनी सेना ने भारत से अपने सैनिक को लौटाने की गुहार लगाई थी। पकड़े गए चीनी सैनिक के बारे में भारतीय सेना ने कहा था कि उसने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक सैनिक को पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में सोमवार को पकड़ा है।
पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने सोमवार रात को लापता पीएलए सैनिक को लेकर कहा कि हमारा एक चीनी सिपाही उस वक्त लापता हो गया, जब वह 18 अक्टूबर की रात एक चरवाहे को अपना खोए हुए याक को खोजने में मदद कर रहा था। कर्नल झांग ने कहा कि इस घटना के तुरतं बाद ही चीनी सीमा रक्षकों ने भारतीय पक्ष को घटना की सूचना दे दी थी।
हालांकि, भारत ने प्रोटोकॉल के हिसाब से जरूरी पूछताछ कर दो दिन के भीतर यानी 20 अक्टूबर की रात को चीन के सैनिक को सुरक्षित वापस लौटा दिया। लेकिन जब 4 सितंबर को अरुणाचल प्रदेश के पांच नागरिक सीमा पर रास्ता भूल गए थे, तो चीनी सेना ने उन्हें पकड़ लिया था। हालांकि, चीन ने उन पाचों भारतीय नागरिकों को 12 सितंबर को भारत को वापस लौटा दिया, मगर चीन ने इसके लिए आठ दिन का समय लगाया।
लेकिन जब चीनी सैनिक के पकड़े जाने की बात आई तो भारत ने दरियादिली दिखाई और त्वरित एक्शन लेते हुए उसने चीन को उसका सैनिक महज दो दिन के भीतर ही छोड़ दिया। इन पाचों भारतीय नागिरकों के चीन द्वारा पकड़े जाने की सूचना सबसे पहले भारतीय पक्ष में कांग्रेस विधायक निनॉन्ग इरिंग ने दी थी और उन्होंने कथित तौर पर चीन द्वारा आगवा किए जाने की बात कही थी।
क्या कहता है नियम
दो देशों के बीच सीमा पर जो अंतरराष्ट्रीय नियम है, उसके मुताबिक, शांति काल में जब भी किसी देश का सैनिक दूसरे देश में पकड़ा जाता है तो सबसे पहले उसकी तलाशी ली जाती है और उससे पूछताछ होती है। फिर उसके इरादे का पता लगाया जाता है। पूछताछ में जब पकड़े गए शख्स की शिनाख्त हो जाती है और अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं तो उसके पकड़े जाने की सूचना दूसरे पक्ष को दी जाती है। प्रोटोकॉल पूरा होने के बाद और पूछताछ में संतुष्ट होने के बाद संबंधित देश के सैनिक को लौटा दिया जाता है।