सर्दी का मौसम चल रहा है। बाजार में हरी साग-सब्जियों की भरमार है। कहीं मेथी, बथुआ, चौलाई, सोया, चना के साग मिल रहे तो कहीं ताजे पालक, फूलगोभी, बंदगोभी मिल रहे। इस सब्जियों के बीच एक और सब्जी है जो सब्जी कम औषधि अधिक है। ये सब्जी है शलजम। ऊपर का कुछ हिस्सा पर्पल तो बाकी का सफेद। देखने में किसी शंकु (Cone) की तरह लगने वाली सब्जी शलजम आलू और चुकंदर की तरह रूट वेजिटेबल्स है।
पत्तियां और जड़ दोनों हैं लाभदायक
शलजम की पत्तियां और जड़ दोनों खाए जाते हैं। हालांकि सबसे ज्यादा रूट यानी मुख्य सब्जी ही खाई जाती है। शलजम में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम मिनरल्स होते हैं। वहीं इसमें विटामिन A, C, E, K मौजूद होते हैं।
डायटीशियन मेघा सिंह बताती हैं कि शलजम में बी कॉम्प्लेक्स विटामिन जैसे B1, B2, B3, B5, B6 और B9 होते हैं। एक कप शलजम में 2.34 ग्राम फाइबर होता है जबकि एक ग्राम से अधिक प्रोटीन होता है। जबकि इसमें फैट नहीं के बराबर होता है।
क्या शलजम को कच्चे भी खाया जा सकता है?
मेडिका अस्पताल में चीफ डायटीशियन डॉ. विजय श्री प्रसाद बताती हैं कि शलजम को कच्चा के साथ पका कर भी खाया जाता है। इसके बाहर के छिलके को हटा सकते हैं। शलजम का जूस पिया जा सकता है। इसे सलाद के रूप में खाया जा सकता है।
एक कप कटे शलजम में ये हैं न्यूट्रिएंट्स
36.4 g कैलोरी
1.17 g प्रोटीन
0.13 g फैट
8.36 g कार्बोहाइड्रेट
2.34 g फाइबर
39 mg कैल्शियम
0.39 mg आयरन
14.3 mg मैग्नीशियम
35.1 mg फॉस्फोरस
0.13 mcg विटामिनK
87.1 mg सोडियम
0.351 mg जिंक
27.3 mg विटामिन C
19.5 mcg फोलेट
कैंसर से बचाता है शलजम
लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, शलजम खाने से कैंसर का खतरा कम होता है। इसमें एक कंपाउंड सल्फोराफेन होता है जो कैंसर के इलाज में कारगर होता है। शलजम में एंटी ऑक्सीडेंट भी भरपूर होते हैं। यह कैंसर को म्यूटेट होने से रोकता है।
प्रेग्नेंसी में भी खाएं शलजम
प्रेग्नेंसी में कम मात्रा में शलजम को पकाकर खाया जा सकता है। इसमें फॉलिक एसिड और आयरन की मात्रा अधिक होती है। शलजम की पत्तियों में फाइबर अधिक होता है। चूंकि प्रेग्नेंसी में कान्स्टपेशन अधिक होता है ऐसे में शलजम डायजेशन में भी मददगार होता है। फाइबर अधिक होने से ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है।
बालों को बनाते हैं हेल्दी
डॉ. मेघा बताती हैं कि शलजम में आयरन और एंटी ऑक्सीडेंट्स के साथ बीटा कैरोटीन भी होते हैं। इससे बालों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। बीटा कैरोटीन होने से ऑखों की रोशनी भी बढ़ती है। हाल के शोध में बताया गया है कि शलजम में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स से कैटेरेक्ट और ग्लूकोमा को भी ठीक किया जा सकता है।
बढ़े हुए वजन को कम करता है शलजम
शलजम में कैलोरी बहुत कम होती है। इसलिए इसे खाने से वजन बढ़ने का कोई रिस्क नहीं होता। साथ ही शलजम में विटामिन B कॉम्प्लेक्स होता है। इससे शरीर के मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने में मदद मिलती है। इसे डाइट में शामिल कर बढ़े हुए वजन को घटाया जा सकता है।
अधिक मात्रा में शलजम से हो सकता है नुकसान
खाने में यदि अधिक मात्रा में शलजम लिया जाए तो इससे नुकसान भी पहुंच सकता है। इससे थॉयराइड हॉर्मोन में गड़बड़ी हो सकती है। कई बार अधिक मात्रा में थॉयराइड हार्मोन निकलने लगता है। शलजम में फाइबर अधिक होने से डायरिया की भी आशंका होती है। चार साल या उससे ऊपर के बच्चों को 25 ग्राम से ज्यादा शलजम नहीं देना चाहिए। डॉ. विजय श्री प्रसाद बताती हैं कि शलजम में विटामिन K की मात्रा बहुत होती है।