सुबह बिस्तर छोड़ने के बाद तरोताजा महसूस करने के लिए ठंडे-ठंडे पानी से नहाते हैं? अगर हां तो आपके भूलने की बीमारी का शिकार होने की आशंका न के बराबर है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी का हालिया अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।
शोधकर्ताओं ने लंदन के पार्लियामेंट हिल स्विमिंग स्टेडियम में तैराकी का लुत्फ उठाने वाले वयस्कों के खून की जांच की। इस दौरान उन में ‘कोल्ड-शॉक प्रोटीन’ के नाम से मशहूर ‘आरबीएम-3’ अधिक मात्रा में मिला।
यह यौगिक आमतौर पर शीतस्वाप अवधि (हाइबरनेशन) में रह रहे स्तनपायी जीवों में पैदा होता है। तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान सुनिश्चित करने वाले पुल (सिनैप्स) के पुनर्विकास के लिए इसे बेहद अहम माना जाता है।
मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर जियोवाना मालुसी के मुताबिक डिमेंशिया रोगियों में ‘सिनैप्स’ पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। इससे तंत्रिका तंत्र के बीच सूचनाओं का प्रवाह नहीं हो पाता। नतीजतन मरीज को याददाश्त, तर्क शक्ति और एकाग्रता में कमी की शिकायत से जूझना पड़ता है। सूचनाओं का विश्लेषण करने और एकसाथ कई काम निपटाने की उसकी क्षमता में भी गिरावट आती है।
आरबीएम-3 अहम क्यों
आरबीएम-3’ तंत्रिका तंत्र में ‘सिनैप्स’ के पुनर्विकास में अहम भूमिका निभाता है। ‘सिनैप्स’ तंत्रिका तंत्र की दो कोशिकाओं के बीच न्यूरोट्रांसमिटर का सुचारु प्रवाह सुनिश्चित करने वाले पुल को कहते हैं। न्यूरोट्रांसमिटर यादें संजोने, सूचनाओं का विश्लेषण करने, विभिन्न कार्य निपटाने और अहम यौगिकों के उत्पादन के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों का आदान-प्रदान सुनिश्चित करते हैं।
पशुओं में ऐसे करता है काम
-भालू, गिलहरी सहित अन्य स्तनपायी जीव जब शीतस्वाप अवस्था में होते हैं, तब ‘आरबीएम-3’ उनके तंत्रिका तंत्र में मौजूद 20 से 30 फीसदी ‘सिनैप्स’ को नष्ट कर देता है। हालांकि, वसंत ऋतु में जब ये जीव फिर सक्रिय अवस्था में लौटते हैं तो ‘आरबीएम-3’ फिर ‘सिनैप्स’ का उत्पादन शुरू कर देता है। चूहों पर शोध में इसे अल्जाइमर्स-डिमेंशिया की रोकथाम में कारगर पाया गया है।
संभावना : दवा बनाने में मदद मिलेगी
मानव शरीर में ‘आरबीएम-3’ प्रोटीन के उत्पादन की पुष्टि होने से अल्जाइमर्स और डिमेंशिया के इलाज में कारगर दवाओं के निर्माण की उम्मीद जगी है। शोध दल ने कहा, इससे बिना ठंडे पानी से नहाए ही ‘आरबीएम-3’ के उत्पादन की विधि ईजाद की जा सकेगी, ताकि भूलने की बीमारी से बचाव में मदद मिले।
सावधान : ज्यादा ठंडे पानी से न नहाएं
शोधकर्ताओं ने नहाने के लिए 34 डिग्री सेल्सियस से कम ठंडे पानी का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी। उनकी मानें तो ऐसा करने वाले लोगों की नसों में खून का बहाव रुक सकता है। अहम अंगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से उनके खराब होने और व्यक्ति की जान जाने का खतरा रहता है।
फायदेमंद
-शरीर में ‘कोल्ड-शॉक प्रोटीन’ के नाम से मशहूर ‘आरबीएम-3’ पैदा होगा।
-तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं थमेगा