पुलिस का खुलासा- सरकार ने रेलवे लाइन के लिए जमीन एक्वायर की तो धूलचंद ने ब्रिज उड़ाने की कोशिश की।
धूलचंद के पिता बोले- मेरे नाम तो कोई जमीन ही नहीं है। वो तो बड़े भाई के नाम थी। उसे हर्जाना भी मिला। फिर भी बेटा पता नहीं क्यों फाइल लेकर घूमता रहता था? इतना बड़ा धमाका कर दिया।
उदयपुर रेलवे ब्रिज पर धमाके के मास्टरमाइंड के पिता का यह बयान, अब पुलिस के खुलासे पर सवाल खड़े कर रहा है। क्योंकि पुलिस ने अपने खुलासे में बताया कि धूलचंद ने जमीन अधिग्रहण का मुआवजा नहीं मिलने से नाराज होकर धमाका करना बताया। वहीं, पिता कह रहा है कि जमीन तो उनके पिता के बड़े भाई की थी और उन्हें अधिग्रहण का मुआवजा मिला था।
धूलचंद के पिता सवजी ने कहा, ‘वह पिछले कई सालों से जमीनों के कागज की नकल लेकर घूम रहा था। हमने कई बार उससे जमीन के दस्तावेज के बारे में पूछा मगर वह हर बार टालता रहा। पुलिस भी 3 दिन पहले उसके कमरे से 1 पेटी में लेकर गई है। जब मेरे पिता के नाम पर कोई संपत्ति के दस्तावेज ही नहीं थे तो हमें मुआवजा किस आधार पर मिलेगा।’ इतना कहते ही सवजी फूट-फूटकर रोने लगते हैं। बड़ी मुश्किल से उनसे आगे की बात हो पाई।
अब सवाल उठता है- क्या धूलचंद ने किसी के बहकावे में आकर ये ब्लास्ट किया?
उदयपुर से करीब 35KM दूर एकलिंगपुरा ये वही गांव है, जहां रेलवे ब्रिज ब्लास्ट के तीनों आरोपी रहते हैं। पूरे गांव में 30 के करीब घर होंगे। सभी कच्चे-पक्के घर पहाड़ियों पर दूर-दूर बने हैं। एक दूसरे से करीब आधा किलोमीटर। 12 नवंबर को इसी गांव के धूलचंद ने अपने दो भतीजों के साथ पटरी पर विस्फोट कर पूरे राजस्थान को हिलाकर रख दिया था।
यहां धूलचंद के माता-पिता, पत्नी, 3 बच्चे और भाई रहते हैं। धूलचंद की करतूत पर सब शर्मिंदा हैं। पिता ने कहा- ‘अगर उन्हें मालूम होता कि उनका बेटा इतना बड़ी घटना को अंजाम देने जा रहा है तो वे खुद उसे उसी ट्रैक पर बांध देते।’ इसके बाद रिपोर्टर धूलचंद का साथ देने वाले उसके दोनों भतीजों के घर भी पहुंचे, लेकिन वहां ताला लगा हुआ था। पूरा परिवार घर छोड़कर कहीं जा चुका है।
धूलचंद के घर जाते हुए हमें एक-दो लोग सड़क पर नजर आए। हमने रुककर धूलचंद की हरकत के बारे में पूछा तो बोले- ‘जो किया बहुत गलत किया। अब जिदंगी भर जेल की हवा खानी होगी। ऐसा करने से क्या हासिल हो गया?’ धूलचंद के घर पहुंचने पर बाहर ही उसके बुजुर्ग पिता सवजी मिले। वह उनके बुढ़ापे का सहारा था पर अब वह उसका नाम भी नहीं लेना चाहते हैं।