उदयपुर में ओढ़ा रेलवे ब्रिज पर ब्लास्ट में बड़ी साजिश की आशंका और गहरी हो गई है। ब्लास्ट के तीसरे दिन इस जगह से करीब 70 किमी दूर आसपुर में जिलेटिन से भरे सात कट्टे मिले हैं। इनका वजन करीब 186 किलो है। ये कट्टे डूंगरपुर जिले के गडा नाथजी के पास सोम नदी पर बने भबराना पुल के नीचे से बरामद हुए हैं। जिलेटिन का उपयोग ब्लास्ट में किया जाता है।
इतनी भारी मात्रा में जिलेटिन मिलने के बाद यहां हड़कंप मच गया और सूचना मिलते ही डीएसपी कमल कुमार मौके पर पहुंचे। जानकारी के अनुसार आसपुर से दस किमी दूर भबराना गांव में सोम नदी पर बने पुल के पास कुछ ग्रामीणों ने नदी में पड़े कट्टों को देखा। शक होने पर उन्होंने आसपुर थाने को सूचना दी। इसके बाद कट्टों को बाहर निकाला। जब कट्टों को खोला गया तो पुलिस भी चौंक गई। इन कट्टों में जिलेटिन की छड़ें भरी हुई थी। इसके बाद आला अधिकारियों को सूचना दी गई है। हालांकि पुलिस अभी इस मामले को उदयपुर के पास पुल पर हुए ब्लास्ट से जोड़कर नहीं देख रही है।
नदी से बरामद सात कट्टों में मिली जिलेटिन की इन छड़ों का वजन 186 किलो था। पुलिस को अभी यह पता नहीं लग पाया है कि ये कहां से आई और कौन इन्हें यहां फेंक कर गया है। जिस जगह ये जिलेटिन मिली हैं, वहां आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं है।
आसपुर एसएचओ सवाई सिंह सोढ़ा ने बताया कि हमें बड़ी मात्रा में जिलेटिन की छड़े मिली हैं। इन्हें जब्त कर लिया गया है। किसी ने निष्क्रिय करने के लिए इन्हें यहां डाला होगा। हम इसकी हर एंगल से जांच कर रहे हैं। मामले में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पैकेट पर राजस्थान का पता
जिलेटिन की छड़ें जिस पैकेट में रखी थीं, उस पर राजस्थान का पता लिखा हुआ है। हालांकि गीला होने की वजह से पैकेट का कागज गल गया है, जिससे पैकेट पर लिखा हुआ स्पष्ट नहीं दिख रहा है।
ढाई किलो जिलेटिन 200 वर्ग फीट क्षेत्र को बर्बाद कर सकती है
विशेषज्ञों के मुताबिक ढाई किलो जिलेटिन की छड़ में इतनी ताकत होती है कि यह 200 वर्ग फीट क्षेत्र को बर्बाद कर सकती है। ढाई किलो जिलेटिन की छड़ें ही मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली थीं। उदयपुर के पास 186 किलो छड़ें मिली हैं, यानी इससे करीब 75 गुना ज्यादा।
इस हिसाब से यह जिलेटिन 15 हजार वर्ग फीट एरिया को बर्बाद कर सकती है। इतनी जिलेटिन उस पुल को बहुत आसानी से नेस्तनाबूद कर सकती है, जहां रविवार को ब्लास्ट हुआ था। हालांकि ब्लास्ट के लिए जिलेटिन के साथ डेटोनेटर की भी जरूरत होती है।
नक्सली करते हैं जिलेटिन छड़ों का उपयोग
आमतौर पर नक्सली हमले के लिए जिलेटिन छड़ों का उपयोग करते हैं। इसके अलावा खदानों में भी जिलेटिन छड़ों का यूज किया जाता है। जिलेटिन की छड़ाें की ताकत का अंदाजा कुछ साल पहले मप्र के झाबुआ में हुए एक हादसे से लगाया जा सकता है। झाबुआ के पेटलावद के एक घर में जिलेटिन और डेटोनेटर फटने से करीब 78 लोग मारे गए थे और कई घर तबाह हो गए थे।
दरअसल, उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे लाइन ट्रैक पर शनिवार रात सुपर पावर 90 डेटोनेटर से हुए ब्लास्ट ने पूरे राजस्थान को हिला दिया।
पुलिस को रेलवे ट्रैक पर बारूद भी मिला है। NSG, NIA, IB की टीमें उदयपुर में आतंकी और नक्सली हमले की आशंका को लेकर जांच कर रही हैं। इसके अलावा रेलवे पुलिस और उदयपुर पुलिस भी मामले की जांच में जुटी हुई है।
मामला इसलिए भी बेहद संवेदनशील है कि पीएम मोदी ने 31 अक्टूबर को ही इस लाइन का उद्घाटन किया था। इसके अलावा धमाके से चार घंटे पहले ही इसी ट्रैक से ट्रेन निकली थी। साजिश को लेकर कुछ अहम जानकारियां भी मिलने की बात है। सूत्रों के अनुसार ब्लास्ट करने वाले की हाइट करीब पांच फीट है। हालांकि, एजेंसियां फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहीं हैं।
उदयपुर-अहमदाबाद ट्रैक से अहमदाबाद-उदयपुर-असरवा ट्रेन नंबर 19703 और 19704 रोजाना गुजरती है। ट्रेन गुजरने के दौरान ब्लास्ट होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। धमाके के बाद ट्रैक से गुजरने वाली ट्रेन को डूंगरपुर में ही रोक दिया। ट्रेन में 665 यात्री सफर कर रहे थे।
मामले में NSG, NIA, IB से जुड़े सूत्रों से बात की। प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में ब्लास्ट के 4 संभावित कारण सामने आए।
क्या ब्लास्ट आतंकी साजिश का हिस्सा था?
क्या ये नक्सली हमला था?
क्या माइंस के विरोध में ब्लास्ट हुआ?
क्या ये किसी किसी की शरारत थी?