टीम इंडिया के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने मांकडिंग का पुरजोर तरीके से समर्थन किया है और कहा है कि अगर मैं भी क्रीज से बाहर हूं तो आउट दिया जाना चाहिए। इसमें खेल भावना की बात ही नहीं है। हालांकि, अभी तक इसे अनफेयर प्ले कहा जाता था, लेकिन उस भी ये लीगल था और अब इसे पूरी तरह से नियमों के तहत कर दिया गया है कि नॉन स्ट्राइक पर बल्लेबाज अगर गेंद के फेंके जाने से पहले क्रीज छोड़ता है तो उसे रन आउट करार दिया जा सकता है।
हार्दिक पांड्या ने आईसीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, “खेल की भावना की बात नहीं है। हमें इस (मांकडिंग) बारे में हंगामा करना बंद करना होगा।” एक अक्टूबर से क्रिकेट की रूल बुक में अब अनफेयर प्ले सेक्शन ही नहीं, क्योंकि इसे रन आउट की कैटेगरी में डाल दिया गया है। हालांकि, इसके बावजूद अभी तक इस पर बहस जारी है कि ये खेल भावना के विरुद्ध है।
इसी पर हार्दिक पांड्या ने कहा, “व्यक्तिगत रूप से, मुझे इससे कोई समस्या नहीं है (नॉन-स्ट्राइकर के छोर पर रन आउट)। अगर मैं (क्रीज से) बाहर जा रहा हूं और कोई मुझे रन आउट करता है तो यह मेरी गलती है। वह (गेंदबाज जो उसे रन आउट करता है) अपने फायदे के लिए नियम का इस्तेमाल कर रहा है, यह ठीक है, यह कोई बड़ी बात नहीं है। हमें इस बारे में हंगामा करना बंद करना होगा (नॉन-स्ट्राइकर एंड पर रन आउट)। यह एक नियम है और ये साधारण सी बात है।”
यह मुद्दा उस समय चर्चा का विषय बन गया था, जब दीप्ति शर्मा ने चार्ली डीन को नॉन-स्ट्राइकर एंड पर रन आउट कर दिया था और उन्होंने पिछले महीने इंग्लैंड में वनडे सीरीज से 3-0 से ऐतिहासिक क्लीन स्वीप हासिल की थी। इस तरह के रन आउट को मांकडिंग के रूप में जाना जाता है, जो कि वीनू मांकड़ ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1947-48 टेस्ट सीरीज में दो बार इस तरह से नॉन-स्ट्राइकर एंड पर बिल ब्राउन को रन आउट किया था।