केदारनाथ से उड़ते ही हेलीकॉप्टर कोहरे के बीच ऊपर उठने की बजाय आगे की ओर बढ़ता गया। बताया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर सात मीटर और ऊपर उड़ता तो शायद यह हादसा टल सकता था। गरुड़चट्टी में रह रहे लोगों ने बताया कि हेलीकॉप्टर कोहरे के बीच आगे बढ़ता गया, जबकि इससे लगी गरुड़चट्टी की पहाड़ी थी।
यदि हेलीकॉप्टर केदारनाथ से ही थोड़ा ऊपर उठते आगे बढ़ता तो पहाड़ियों से टकराने से बच जाता। यह भी बताया जा रहा कि केदारनाथ से एक यात्री को बैठाने के चलते थोड़ा विलम्ब हो गया था और इसी बीच पहाड़ी की ओर से घना कोहरा छा गया, जिससे दुर्घटना हो गई।
केदारनाथ में हुई बर्फबारी
केदारनाथ की पहाड़ियों पर मंगलवार दोपहर बाद बर्फबारी देर शाम तक जारी रही। इस कारण कड़ाके की ठंड हो रही है। मंगलवार सुबह केदारनाथ में मौसम साफ था। दस बजे बाद निचले स्थानों में बारिश शुरू हो गई। दोपहर बाद पहाड़ियों में बर्फबारी शुरू हुई।
सिंगल इंजन के हेलीकॉप्टर
केदारनाथ यात्रा में अभी तक जो भी हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे हैं, वह सिंगल इंजन के ही है। डबल इंजन वाले हेलीकॉप्टर यहां कम ही देखने को मिले हैं। विशेष अवसरों पर ही डबल इंजन के हेलीकॉप्टर केदारघाटी की पहाड़ियों के बीच उड़ान भरते दिखते हैं।
वन विभाग के मानकों का उल्लंघन कर रही हैं कंपनियां
केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं का जोर पकड़ने के साथ ही इस संवेदनशील क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण के लिए तय मानकों का उल्लंघन हो रहा है। हेली सेवा को वन्यजीव संस्थान ने सख्त मानक बनाए हैं। हेली सेवा की उड़ान जमीन से छह सौ मीटर ऊंचाई पर रखने के साथ ध्वनि प्रदूषण का मानक अधिकतम 50 डेसिबल तक है। लेकिन, हेलीकॉप्टर कई बार महज दो सौ मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर रहे।