दिल्ली हाईकोर्ट से उमर खालिद को झटका लगा है। अदालत ने दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। दिल्ली दंगों में उमर खालिद पर साजिश रचने का आरोप है। जिसके बाद उसे 13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। उमर खालिद इसके बाद से ही जेल में बंद है। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका मंगलवार को नामंजूर कर दी है। फरवरी 2020 में नॉर्थईस्ट दिल्ली में दंगा भड़का था। इस दंगे को लेकर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद पर संगीन आरोप लगे हैं। 13 सितंबर 2020 को दिल्ली में हुए दंगों के मामले में उमर खालिद पर UAPA के तहत केस दर्ज किया गया था। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भट्टनागर की स्पेशल बेंच ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर आदेश जारी किया। इससे पहले 9 सितंबर को उसकी जमानत याचिका पर आदेश को सुरक्षित रख लिया गया था।
इससे पहले जमानत याचिका पर जब अदालत में सुनवाई हुई थी तब दिल्ली पुलिस ने अपनी दलील में कहा था कि उमर खालिद पूरी दिल्ली को जाम करना चाहते थे। दिल्ली पुलिस ने JCC व्हाट्सऐप ग्रुप की चैट का जिक्र किया था। इस चैट में कहा गया था- ‘कह दो कि हम जामिया से हैं, दिल्ली का चक्का जाम करेंगे।’ उमर खालिद की जमानत याचिका पर 20 दिनों से ज्यादा तक सुनवाई हुई थी। खालिद पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, दंगा फैलाने और यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। खालिद की जमानत याचिका को बीते मार्च में कड़कड़डूमा कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद से हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा था।
बता दें कि चर्चित दिल्ली दंगों के आरोपी खालिद की तरफ से अदालत में दलील दी गई थी कि इस हिंसा में उसकी कोई आपराधिक भूमिका नहीं है। इतना ही नहीं उमर खालिद ने यह भी कहा था कि दंगों के किसी भी आरोप के साथ उसका कोई आपराधिक संबंध नहीं है। लेकिन अदालत ने फिलहाल उमर खालिद को राहत देने से इनकार कर दिया। खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी, 2020 के दंगों के कथित ‘मुख्य साजिशकर्ता’ होने के नाते अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। यहां इस दंगे में 53 लोगों की जान चली गई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।