दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को आदेश दिया है कि वो सीवर में जहरीली गैस की वहज से मरे दो लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दे। पिछले महीने इन दोनों लोगों की मौत हुई थी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 75 साल बाद भी गरीब हाथ से मैला ढोने के लिए मजबूर हैं। अदालत ने डीडीए से पूछा है कि किसके क्षेत्राधिकार में यह घटना हुई है, ताकि मुआवजा दिया जा सके। अदालत ने यह भी कहा है कि अगर निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो अगली सुनवाई में डीडीए के उपाध्य्क्ष को भी पेश होना होगा। बता दें कि इस मामले में अदालत ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया था और अब यह आदेश जारी किया गया है।
बता दें कि 9 सितंबर को एक सुरक्षा गार्ड और एक सफाईकर्मी की मौत बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में उस वक्त हो गई थी जब एक सीवर में जहरीली गैस की वजह से उनका दम घुट गया था। जब सफाईकर्मी इस सीवर में उतरा था तब वो बेहोश हो गया था जिसके बाद गार्ड उसे बचाने गया था और वो भी बेसुध हो गए थे। अदालत ने इस मामले में साफ-साफ कहा है कि डीडीए प्रत्येक मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दे।
डीडीए की तरफ से मौजूद वकील ने अदालत को बताया कि युवक उस वक्त बिना किसी आदेश के नाले की सफाई कर रहा था। डीडीए के किसी भी अधिकारी ने उसे नाले की सफाई करने के लिए नहीं कहा था। अदालत ने पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने के अलावा डीडीए से यह भी कहा कि वह सफाई कर्मचारी आंदोलन केस में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले के संबंध में अनुकंपा नियुक्ति के लिए मृतकों के परिवार वालों के दावों पर भी विचार करें। अदालत ने कहा कि वो डीडीए का स्टाफ था और डीडीए को इसकी जानकारी थी।
पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार ने कहा था कि इस मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज की गई थी। काम लेने वाली एजेंसी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। दिल्ली जल बोर्ड के वकील ने अदालत को बताया था कि जिस क्षेत्र में यह घटना हुई थी वो डीडीए के अंडर आता है और वो डीडीए का कर्मचारी था। 12 सितंबर को अदालत ने इन दोनों लोग की मौत से संबंधित एक न्यूज रिपोर्ट सामने आने के बाद संज्ञान लिया और पीआईएल दाखिल करने का आदेश दिया था। मामले में अब अगली सुवनाई 14 नवंबर को होगी।