दिल्ली के जाकिर हुसैन कॉलेज में बीए सेकेंड ईयर में पढ़ने वाली एक 21 वर्षीय छात्रा ने कथित तौर पर कॉलेज की इमारत से कूदकर जान दे दी। पुलिस को मृतका के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उसने बीमारी से तंग आकर आत्महत्या करने की बात कही है। कमला मार्केट थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है।
जानकारी के अनुसार, मृतका शिखा हरियाणा के गन्नौर की रहने वाली थी। वह जाकिर हुसैन कॉलेज में बीए ऑनर्स (पॉलिटिकल साइंस) में सेकेंड ईयर की छात्रा थी। शिखा का एडमिशन मॉर्निंग शिफ्ट में हुआ था। सोमवार शाम को वह कॉलेज की इमारत की दूसरी मंजिल से कूद गई। कॉलेज में मौजूद लोगों ने तुरंत घटना की सूचना पुलिस को दी। इसके बाद क्राइम टीम और स्थानीय पुलिस पहुंची। मौके पर पहुंची कैट्स एंबुलेंस के कर्मियों के अनुसार, छात्रा की मौत हो गई थी।
किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया
पुलिस ने जांच के दौरान शिखा के पास से सुसाइड नोट बरामद किया है, जिसमें उसने किसी को भी अपनी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है। शिखा ने लिखा है कि कॉलेज का न तो कोई छात्र और न ही कर्मचारी मेरी मौत का जिम्मेदार है। मैं अपनी बीमारी से तंग आ गई हूं, जिसकी वजह से खुदकुशी कर रही हूं।
एसएफआई ने छात्रा की आत्महत्या पर सवाल उठाए
वहीं, छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध जाकिर हुसैन कॉलेज की छात्रा द्वारा छत से कूदकर की गई आत्महत्या पर श्रद्धांजलि दी है, साथ ही कई सवाल भी खड़े किए हैं। एसएफआई दिल्ली राज्य समिति ने बयान जारी कर कहा कि 19 सितंबर की शाम को जाकिर हुसैन कॉलेज की छात्रा विशाखा ने कॉलेज की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। छात्रा को तुरंत लोक नायक अस्पताल ले जाया गया, जहां शिखा ने अंतिम सांस ली।
छात्रा का मानसिक स्वास्थ सही न होने के कारण, छात्रा ऐसा कदम उठाने पर विवश हुई। पिछले बीते महीनों में छात्रा ने अपने प्रोफेसर तथा दोस्तों को अपनी खराब मानसिक स्थिति के बारे में बताया था। छात्रा ने कहा था कि उसके घर के सदस्य उसे मारते हैं। उसके साथ हो रही हिंसा के कारण उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ती चली गई। वह मनोचिकित्सक के पास भी गई किंतु दवाई के पैसे न होने के कारण दवाई नहीं खरीद पाई।
व्यक्तिगत कोशिशों और दोस्तों की मदद के बाद भी उसने अपनी जिंदगी खत्म करना ही ठीक समझा। अगर शिखा को इलाज के लिए मुफ्त अस्पताल मिला होता, दवाइयां और स्कॉलरशिप मिली होती तो वह खुदकुशी करने पर मजबूर न होती।