दिल्ली-एनसीआर में 800 किलोवाट से अधिक क्षमता वाले जनरेटर चलाने पर नियम कड़े कर दिए गए हैं। सर्दी में प्रदूषण की रोकथाम के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने कहा है कि जनरेटर को पीएनजी की अनुपलब्धता वाले क्षेत्र में एक दिन में सिर्फ एक घंटा ही चलाया जा सकेगा।
आयोग ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के लिए डीजल से चलने वाले जनरेटरों को एक बड़ा कारक माना गया है, इसलिए ये निर्देश दिए गए हैं। वहीं, बड़े जनरेटर को ऊंचाई पर रखना होगा, ताकि निकलने वाला धुआं सतह के उस स्तर पर हो जहां सांस लेने में दिक्कत न हो। वहीं, आयोग ने आपातकालीन सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले जनरेटर को इन प्रतिबंधों से दूर रखा है। लिफ्ट, नर्सिंग होम, अस्पताल, मेट्रो जैसी तमाम सेवाओं में इनका इस्तेमाल हो सकेगा।
इन जगहों पर होता है इस्तेमाल विशेषज्ञों के मुताबिक बड़े उद्यमों, बड़े शॉपिंग मॉल, बड़े कार्यालय भवनों, हाउसिंग सोसाइटी आदि में इतनी ज्यादा क्षमता के जनरेटर का उपयोग किया जाता है। यहां बिजली की ज्यादा खपत होने के चलते छोटे जनरेटर इस जरूरत को पूरा नहीं कर पाते हैं। कुछ जगहों पर कम क्षमता के दो या तीन जनरेटर भी इस्तेमाल में हो सकते हैं।
जनरेटर ऊंचाई पर रखने होंगे
दिल्ली-एनसीआर को जाड़े के प्रदूषण से बचाने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अब 800 किलोवाट से अधिक क्षमता वाले जेनरेटरों को सिर्फ एक घंटे चलाने की अनुमति दी है। साथ ही, निर्देश दिया है कि 800 किलोवाट क्षमता वाले जनरेटर ऊंचाई पर रखे जाएं। आयोग के निर्देश के मुताबिक, जनरेटर को भवन की ऊंचाई से कम से कम छह मीटर और तीस मीटर से अधिक ऊंचाई पर रखना होगा।
जैसे अगर किसी भवन की ऊंचाई 20 मीटर है तो डीजी सेट को 30 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाना चाहिए। अगर भवन की ऊंचाई 27 मीटर है तो 33 मीटर पर डीजी सेट को स्थापित किया जाना चाहिए। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के प्रदूषण में डीजल से चलने वाले जनरेटरों को एक बड़ा कारक माना है।
निर्देश में कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में पीएनजी ढांचा और गैस उपलब्ध हैं वहां पर आठ सौ किलोवाट क्षमता वाले जनरेटर डुजल मोड (गैस आधारित ईंधन डीजल) वाले होने चाहिए। उन्हें एक दिन में सिर्फ दो घंटे चलाने की अनुमति होगी। जबकि, जहां पीएनजी ढांचा नहीं है, वहां सिर्फ एक घंटे ही इस क्षमता वाले जनरेटर को चलाने की अनुमति होगी।
नियमित निगरानी करें
आयोग ने 800 किलोवाट से ज्यादा क्षमता वाले जनरेटरों के लिए जारी निर्देशों को एनसीआर के जिलों वाले सभी राज्यों को भेज दिया है। इन सभी से नियमित निगरानी करने को कहा है।
ग्रैप एक अक्तूबर से लागू होगा
जाड़े के समय प्रदूषण के स्तर को कम रखने के लिए दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू किया जाता है। इसमें प्रदूषण के अलग-अलग स्तर के साथ ही अलग-अलग प्रतिबंधात्मक कदम उठाने की व्यवस्था है। आमतौर पर 15 अक्तूबर से 15 फरवरी तक ग्रैप लागू किया जाता है। लेकिन, इस बार गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक अक्तूबर से ही इसे लागू करने के निर्देश दिए हैं, ताकि हवा को खराब होने से पहले ही प्रदूषण के कारकों की रोकथाम की जा सके।