दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। गाजियाबाद और नोएडा की घटनाओं ने चिंता और बढ़ा दी है। लोगों की तरफ से मांग उठने लगी है कि कुत्तों को पालने के लिए सख्त नियम बनें। दिल्ली में रोज 100 से 150 मामले कुत्ते के काटने के आते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि दिल्ली में कुत्ते पालने के क्या नियम हैं और इसकी लाइसेंस फीस कितनी है।
राजधानी में 20 हजार कुत्ते
राजधानी में करीब 20 हजार से अधिक खूंखार कुत्ते लोगों की परेशानी का सबब बने हुए हैं। इनमें पालतू कुत्तो के अलावा गलियों में घूम रहे कुत्ते भी शामिल हैं। निगम के पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि निगम के अस्पतालों में प्रतिदिन 100 से 150 लोग कुत्ते के काटने के बाद अपना इलाज कराने के लिए वहां पहुंचते हैं, लेकिन अस्पतालों में रेबीज का इंजेक्शन सभी लोगों को नहीं मिल पाता।
पालने के नियम और लाइसेंस फीस
– दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 399 के तहत प्रत्येक मालिक को अपने पालतू कुत्ते का पंजीकरण लाइसेंस कराना आवश्यक है।
– दिल्ली नगर निगम के पोर्टल पर जाकर कोई भी व्यक्ति अपने पालतू कुत्ते का पंजीकरण करा लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं। पंजीकरण फीस 500 रुपये है।
– पंजीकरण ना कराने पर निगम सार्वजनिक स्थान पर घुम रहे पालतू कुत्ते को जब्त कर सकती है।
मारा जा सकता है खूंखार कुत्ते को
पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि अगर कोई कुत्ता बहुत खूंखार हो गया है यानी वह लोगों को बार-बार काटता है तो उसका रिकॉर्ड तैयार कर उसे मारा जा सकता है।
दिल्ली में हैं ये नस्ल
– जर्मन शेफर्ड
– ग्रेट डेन
– बॉक्सर
– लेब्राडोर
– रॉडबिलर
– पग
– गोल्डन रिटरीवर
पालने के लिए उचित वातावरण जरूरी
किसी भी जानवर को पालने के लिए एक उचित वातावरण की आवश्यकता होती है। पहाड़ी कुत्तों को दिल्ली या लखनऊ जैसे शहरों में पालने के लिए विशेष वातावरण की आवश्यकता होती है। दिल्ली समेत देशभर में पर्यावरण और जानवरो के लिए काम करने वाली सिटिजन फॉर द वेलफेयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ एनिमल्स की संस्थापक सोन्या घोष ने बताया कि देश भर में कुत्तों की अवैध ब्रीडिंग की जा रही है, जिससे उनके डीएनए में बदलाव हो रहे हैं। लोग कुत्तों को पालते हैं लेकिन उन्हें पिंजरे में बंद कर देते हैं, जिससे उनका स्वभाव काफी बदल जाता है।