महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे का विरोध शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कैंप के विधायकों ने आदित्य के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विधायिका के बाहर ‘परम पूज्य युवराज’ कहते हुए पोस्टर भी दिखाए। इसके अलावा विधानसभा में भी आदित्य के एक ‘शब्द’ को लेकर जमकर हंगामा हुआ। खास बात है कि शिवसेना में बगावत करने वाले विधायक लगातार कह रहे थे कि वह ठाकरे परिवार को निशाना नहीं बनाएंगे।
पहले पोस्टर का मामला समझें
शिवसेना के बागी विधायक आदित्य के खिलाफ एक पोस्टर लेकर उतरे। इस पोस्टर में पूर्व मंत्री को घोड़े पर उल्टा बैठे हुए दिखाया गया है। इसके जरिए दिखाया जा रहा है कि घोड़ा हिंदुत्व की ओर देख रहा है, लेकिन आदित्य का चेहरा महाविकास अघाड़ी की ओर है। साथ ही पोस्टर पर लिखा है ‘महाराष्ट्र के परम पूज्य (प पू) युवराज।’
अब जानें विधानसभा सत्र में क्या हुआ
विधानसभा में आदिवासी विकास मंत्री विजयकुमार गवित की तरफ से जानकारी दी गई कि कुपोषण से एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई है। खबर है कि इस पर आदित्य की तरफ से कहा गया कि उन्हें शर्म आनी चाहिए कि वह आदिवासी समुदाय के लिए कुछ नहीं कर सके। इसपर वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने आपत्ति जताई और कहा कि यह असंसदीय शब्द है।
मुनगंटीवार ने कहा कि वह ढाई साल से सत्ता में थे, क्या उन्हें यह कहना कि उनके पिता का शर्म आ रही थी? गवित ने बताया कि इस संबंध में सारी जानकारी हाईकोर्ट में दे दी गई थी। आदित्य के अलााव कांग्रेस विधायक पृथ्वीराज चव्हाण ने भी गवित के सवाल पर विरोध जताया और कहा कि यह असंवेदनशील है। वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक दिलीव वलसे पाटिल की तरफ से मांग उठाई गई कि मंत्री के जवाब को टेबल से हटाया जाना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आदित्य ने कहा था कि मंत्री कुपोषण को लेकर गलत जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की हालत देखेंगे तो उन्हें राजनेता के रूप में शर्म आएगी। शिवसेना विधायक के जवाब के बाद मुनगंटीवार ने गुस्से में कहा कि उन्हें संसदीय भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए था।