चित्तौड़गढ़ जिले में व्यवसायिक प्रतिस्पर्द्धा के चलते एक व्यवासायी ने दूसरे की ढाई लाख की कीमत वाली घोड़ी चुराकर एमपी में 67 हजार में बेच दी। तहकीकात करने पर जब आरोपी सामने आए तो पुलिस ने उनकी निशानदेही पर घोड़ी को बरामद कर लिया। घोड़ी चोरी करने, बेचने और खरीदने वालों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों ने कबूला जुर्म
चित्तौड़गढ़ के शंभूपुरा थानाधिकारी नेतराम बताते हैं कि सावा निवासी पूरन पूरी पुत्र शंकर पुरी ने थाने में दर्ज रिपोर्ट में बताया कि उसकी सफेद रंग की घोड़ी चरने के दौरान चोरी हो गई। घोड़ी की कीमत ढाई लाख रुपए है। आसपास तलाश की, लेकिन नहीं मिली। पुलिस ने लोगों से पूछताछ की और शक के आधार पर कुछ लोगों के मोबाइल ट्रैक किए। तीन लोगों को डिटेन किया गया। इनमें शामिल सावा शंभूपुरा निवासी रघुवीर उर्फ रवि (23), गोविंद (22) पूर्बिया और खेड़ा बनेष्ठी निवासी मुजीब खां से कड़ी पूछताछ की गई।
तीनों ने कबूला जुर्म
घोड़ी को देवास में बेचा
पूछताछ के दौरान बताया कि उन्होंने घोड़ी को देवास, एमपी निवासी अंकित (22) सिंह गाडरी को 67 हजार रुपए में बेचा है। पुलिस देवास पहुंची और आरोपी की निशानदेही पर घोड़ी को बरामद किया। पुलिस ने घोड़ी के साथ लोडिंग टेम्पो भी जब्त किया जिसमें घोड़ी को लेकर गए थे।
आरोपी खुद परिवादी बनकर पहुंचा एसपी के पास
मुख्य आरोपी रघुवीर के पास घोड़ी है। जब पकड़े जाने का शक हुआ तो आरोपी रघुवीर की खुद की घोड़ी चोरी होने की रिपोर्ट लेकर एसपी के पास पहुंच गया। पुलिस ने उससे कड़ी पूछताछ की तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। दरअसल रघुवीर और परिवादी दोनों की घोड़ी एक ही जगह पर चरने जाती थी। इस दौरान रघुवीर सिंह के मन में लालच आ गया था और उसने घोड़ी को चोरी करवा दिया। उसने अपने साथियों को चोरी करने और एमपी में सौदा करने के लिए इस घोड़ी के फोटो भेजे थे।