सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में बने ट्विन टावर 28 अगस्त को पानी के झरने की तरह गिरते नजर आएंगे। टावर का मलबा फैलेगा नहीं और वह सीधे नीचे गिरेगा। पहले 29 मंजिला सियान और इसके चंद सेकेंड में 32 मंजिला एपेक्स टावर गिरेगा। दोनों टावर महज नौ से 12 सेकेंड में जमींदोज हो जाएंगे। एडीफाइस एजेंसी का दावा है कि सियान टावर का हल्का सा झुकाव एटीएस विलेज सोसाइटी की ओर होगा। हालांकि, इस ओर टावर के बीच की दूरी 35 मीटर से अधिक है। ऐसे में कोई खतरा नहीं होगा। वहां तक मलबा नहीं पहुंचेगा।
सुपरटेक बिल्डर और एडीफाइस एजेंसी योजना के हिसाब से ही टावर गिराने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी में सियान और एपेक्स ट्विन टावर (16 और 17 नंबर) पर बने हैं। एडीफाइस एजेंसी के परियोजना के प्रमुख उत्कर्ष मेहता ने बताया कि ये टावर सोक ट्यूब सिस्टम के तहत ध्वस्त किए जाएंगे। इस तकनीक में मलबा पानी के झरने की तरह सीधे नीचे गिरता है। टावर को गिराने के लिए अलग-अलग सेकेंड में विस्फोट किए जाएंगे।
वाइब्रेशन कंट्रोल के लिए प्रत्येक विस्फोट में कुछ सेकेंड का अंतर होगा। ये विस्फोट कॉलम में किए जाएंगे। पहला टावर पूरी तरह गिरने से पहले ही दूसरे टावर में विस्फोट होने शुरू हो जाएंगे। दोनों टावर का मलबा अपने परिसर में ही गिरेगा। मलबा बाहर ना जाए, इसके लिए चार प्रोटेक्शन लेयर होंगी। विस्फोट पर नजर रखने के लिए पांच लोगों की एक टीम परिसर में रहेगी।
मेहता के अनुसार, सोसाइटी परिसर में टावर नंबर-1 में लोग रह रहे हैं। इससे ट्विन टावर की दूरी नौ मीटर है। विस्फोट से टावर नंबर-1 को कोई क्षति नहीं होगी। आसपास की किसी भी सोसाइटी में बने फ्लैट को कोई नुकसान नहीं होगा। ध्वस्तीकरण के करीब 10-15 मिनट बाद धूल पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
इस तरह विस्फोट होगा
उत्कर्ष मेहता ने बताया कि दोनों टावर को गिराने के लिए विस्फोट लगाने के लिए करीब 9800 जगह छेद किए गए हैं। दो विस्फोट (प्राइमरी और सेकेंडरी) होंगे। प्राइमरी में बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर, पहले, दूसरे, छठवें, दसवें, 14वें, 22वें, 26वें और 30वें फ्लोर पर ज्यादा विस्फोट होंगे। विस्फोट के दौरान मलबा परिसर से बाहर नहीं आएगा। इसके लिए प्रत्येक कॉलम, जिसमें विस्फोटक होंगे, उसे वायर गेज और जियो टेक्सटाइल फाइबर से कवर किया जा रहा है। टावर गिराए जाने के दूसरे दिन से वहां से मलबा हटना शुरू हो जाएगा। इसको पूरी तरह साफ होने में करीब तीन महीने का समय लगेगा।
पांच लोगों की निगरानी में पूरी होगी प्रक्रिया
ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पांच लोगों की निगरानी में होगी, जो परिसर से 100 मीटर दूरी पर मौजूद रहेंगे। इनमें एक पुलिस अधिकारी, जेट डिमोलिशन कंपनी के मालिक, सुरक्षा प्रमुख, एडीफाइस के इंजीनियर और परियोजना प्रमुख होंगे।
गैस पाइप लाइन के ऊपर दो मीटर की स्टील प्लेट
जहां पर दोनों टावर गिराए जाने हैं, वहां पास से ही गेल की गैस पाइप लाइन गुजरी हुई है। इंजीनियरों ने दावा किया कि गैस पाइप लाइन पर टावर के मलबे से कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा। पाइप लाइन जमीन में तीन मीटर अंदर है। फिर भी इसके ऊपर स्टील की दो मीटर की प्लेट लगाई जा रही है। अगर कोई मलबा जाता है तो ये प्लेट रोक लेंगी।
हर तल पर निगरानी के लिए एक-एक इंजीनियर
हर तल पर निगरानी की जिम्मेदारी का जिम्मा एक-एक इंजीनियर को दिया गया है। फ्लोर वाइज एओए की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। यहां भारतीय के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका के इंजीनियर भी रहेंगे। ये इंजीनियर जेट डिमोलिशन कंपनी के हैं। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में वर्ष 2019 में 108 मीटर की ऊंची इमारत को इसी कंपनी ने ध्वस्त किया था। वहां पर दूसरे टावर से उसकी दूरी महज 7.8 मीटर थी। इसके लिए कंपनी को सम्मानित किया गया था।
क्या होगा उस दिन छह घंटे पहले अंतिम जांच
टावर ध्वस्तीकरण वाले दिन सुबह से 5-6 घंटे तक विस्फोट की कनेक्शन वायर और लगाए गए विस्फोटक की अंतिम जांच होगी। जांच के दौरान देखा जाएगा कि कहीं वायर में कोई कट तो नहीं है।