साइबर अपराधियों ने सोशल मीडिया ऐप को ठगी का जरिया बना लिया है। वे फेसबुक और इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल मीडिया आईडी हैक कर रुपये ऐंठ रहे हैं। ठग कभी जीजा बनकर तो कभी दोस्त बनकर जालसाजी कर रहे हैं। नोएडा में जनवरी 2022 से लेकर जुलाई तक सोशल मीडिया ऐप हैक कर ठगी के करीब 156 मामले सामने आ चुके हैं। पीड़ितों ने इस बारे में पुलिस से शिकायत की है।
जालसाजों ने ऐप हैक कर पीड़ित या उसके दोस्तों के पास मैसेज भेजकर खुद को रिश्तेदार बताया। फिर आरोपी ने बीमारी सहित विभिन्न बहाने बनाकर पीड़ितों से लाखों रुपये ठग लिए। इसके अलावा जालसाजों ने बैंक और यूपीआई खातों से भी रकम निकाली। इस तरह की ठगी के अधिकतर मामले फेसबुक के माध्यम से किए गए। इसको लेकर नोएडा साइबर सेल और साइबर क्राइम थाना पुलिस भी एडवाइजरी जारी कर चुकी है।
इसके बावजूद ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। साइबर ठग उन अकाउंट को आसानी से हैक कर लेते हैं, जिनके आइडी और पासवर्ड उनके मोबाइल नंबर, नाम या जन्म तिथि से मिलते जुलते होते हैं। आरोपी उनकी आईडी हैक कर फ्रेंड लिस्ट में जुड़े लोगों को मैसेज कर रुपये की मांग करते हैं।
जालसाज एक फिसिंग लिंक की मदद से फेसबुक अकाउंट हैक कर लेते हैं। यह फिसिंग लिंक अपराधी ई-मेल आईडी या फिर मैसेंजर पर भेजते हैं। ई-मेल आईडी पर आए रिसेट फेसबुक पासवर्ड का मेल देखकर जैसे ही यूजर्स इसमें दिए लिंक पर क्लिक करता है तो उसका अकाउंट हैक हो जाता है। इसके बाद ठग पासवर्ड बदलकर यूजर के फेसबुक पर दोस्तों को भी फिशिंग लिंक भेजकर उनके आकउंट भी हैक कर लेता है।
एडीसीपी (कानून व्यवस्था) रणविजय सिंह ने कहा, ‘साइबर ठगी से बचने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड मजबूत रखें। सोशल मीडिया ऐप से पैसे मांगने वालों से भी सावधान रहें। इसके अलावा मोबाइल पर आए किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें।’
इन बातों का ध्यान रखें
– अनजान ई-मेल या मैसेज पर आने वाले लिंक पर क्लिक ना करें।
– अगर क्रोम सॉफ्टवेयर पर इंटरनेट चलाते हैं तो इसे अपडेट जरूर करें।
– फेसबुक पर कोई दोस्त रुपये मांगता है तो उससे कॉल पर बात कर लें।
– लैपटॉप या डेस्कटॉप पर एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें।
– मोबाइल नंबर और जन्म तिथि से संबंधित पासवर्ड न बनाएं।