महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के बयान पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। हालांकि अपनी प्रतिक्रिया में उद्धव ने कुछ गलत शब्दों का इस्तेमाल करते भी सुने जा रहे हैं। उद्धव ने कहा कि गवर्नर ने महाराष्ट्र में बहुत कुछ देखा है। अब उन्हें कोल्हापुरी जूते दिखाने का वक्त आ गया है। गौरतलब है कि कोश्यारी ने शुक्रवार शाम एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मुंबई में गुजराती और राजस्थानी लोग नहीं रहेंगे, तो यहां पैसा नहीं बचेगा और यह देश की आर्थिक राजधानी नहीं रहेगी। इस टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के बाद राज्यपाल ने शनिवार को कहा कि उनकी टिप्पणियों को गलत समझा गया है। उन्होंने कहा कि उनका मराठी भाषी लोगों की कड़ी मेहनत को कमतर करने का कोई इरादा नहीं था।
लोग निकाल सकते हैं मनचाहा मतलब
उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले तीन साल में महाराष्ट्र की खूबसूरत गुफाएं देखीं। शिवाजी के किले और अन्य अच्छी चीजें देखीं। लेकिन अब उन्हें कोल्हापुरी जूते दिखाने का वक्त आ गया है, क्योंकि कोल्हापुरी जूता भी महाराष्ट्र की शान है। उद्धव ने आगे कहा कि लोग मेरी बात का मनचाहा मतलब निकाल सकते हैं, लेकिन अब वक्त आ गया है कि भगत सिंह कोश्यारी को दुनिया के मशहूर कोल्हापुरी जूते दिखा दिए जाएं। अब यह जूते लोग कैसे इस्तेमाल करेंगे यह उन पर निर्भर करता है।
घर भेजा जाए या जेल
इस बीच महाराष्ट्र में कोश्यारी के बयान की आलोचना हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उनसे माफी की भी मांग की। ठाकरे ने मातोश्री में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह तय करने का समय आ गया है कि कोश्यारी को वापस घर भेजा जाए या फिर जेल भेजा जाए। पिछले तीन साल से महाराष्ट्र में रहने के बावजूद वह लगातार मराठियों के खिलाफ बोल रहे हैं। अब अपने इस बयान के बाद एक बार फिर उन्होंने राज्यपाल पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।
भाषण मुंबई में लिखे जा रहे या दिल्ली में?
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्यपाल की कुर्सी की काफी इज्जत करते हैं। लेकिन इस कुर्सी पर बैठने वाला ही इसकी इज्जत नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पद की एक गरिमा है। वह राष्ट्रपति के दूत हैं। वह यहां की तमाम सुविधाओं का फायदा उठा रहे हैं और फिर यहां के लोगों का अपमान कर रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि ऐसे बयान दुर्घटनावश नहीं आते हैं। मुझे नहीं पता कि उनके भाषण मुंबई में लिखे जाते हैं या दिल्ली में, यह जांच का विषय है।