यदि आप नोएडा से अपने घर का सामान या कोई वाहन दूसरे शहर में भेजने के लिए ऑनलाइन पैकर्स-मूवर्स से बुकिंग करवा रहे हैं तो सावधान हो जाइये। नोएडा में पैकर्स-मूवर्स के नाम पर लोगों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। ठगों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर इंटरनेट पर अपने मोबाइल नंबर अपलोड कर रखे हैं। जालसाज सामान बुक करके लोगों के घर से ले जाते हैं, फिर उसे रास्ते में ही गायब कर देते हैं। सात महीने में ऐसे 84 मामले सामने आ चुके हैं।
दरअसल, नौकरी पेशा लोग ट्रांसफर होने या नई नौकरी मिलने के बाद अपने घरेलू सामान और वाहन को किसी दूसरे शहर में भेजते हैं। इसके लिए इंटरनेट पर पैकर्स-मूवर्स को खोजते हैं। इंटरनेट पर उनको काफी संख्या में मोबाइल नंबर मिलते हैं। इसमें कई नंबर ठगों के होते हैं। ठगों से बात करने पर वह सामान को दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए सौदा तय कर लेते हैं। वह व्यक्तिगत तौर पर मिलने नहीं जाते। ठग उनसे एडवांस में किराया ले लेते हैं।
इसके अलावा सारे सामान को पैक कर अपनी गाड़ी में भर लेते हैं। इसके बाद सामान लेकर भाग जाते हैं। गंतव्य पर सामान न पहुंचने पर पीड़ति उनके पास कॉल करता है तो आरोपी खुद को कहीं फंसा हुआ बताकर और रकम की मांग करते हैं। यदि पीड़ित उसके खाते में रकम ट्रांसफर करता है तो आरोपी अपना मोबाइल नंबर बंद कर लेते हैं। नोएडा में 1 जनवरी से लेकर 25 जुलाई तक ऐसे करीब 84 मामले सामने आ चुके हैं।
पुलिस ने इसको लेकर आमजन से सतर्क रहने की अपील की है। ठगी के बाद आरोपी आसानी से पुलिस के हाथ भी नहीं लगते हैं। आरोपी ठगी करने के लिए इंटरनेट कॉलिंग का इस्तेमाल करते हैं। इससे पुलिस को उनकी लोकेशन का पता नहीं चल पाता है। जिस कारण ठग पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाते हैं। इंटरनेट कॉलिंग की वॉइस रिकोर्डिंग भी नहीं हो पाती है। हालांकि, पुलिस ने पांच-छह जालसाजों को गिरफ्तार किया है।
फर्जी वेबसाइट के जरिये फंसा रहे
अधिकतर सुविधाएं डिजिटल होने के बाद से ठग सक्रिय हुए हैं। पहले लोग ट्रांसपोर्ट कंपनियों के दफ्तर या मूवर्स एंड पैकर्स के पास जाकर बुकिंग कराते थे। जब से सारी व्यवस्था डिजिटल हुई है, ठगों ने इंटरनेट पर अपनी सैकड़ों फर्जी वेबसाइट बना ली है। अब कोई व्यक्ति जैसे ही मूवर्स की ऑनलाइन खोज करता है, असली कंपनियों के साथ-साथ सैकड़ों फर्जी कंपनियों के नंबर सामने आ जाते हैं।
एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि आमजन को पैकर्स-मूवर्स की वेबसाइट की अच्छे से छानबीन करनी चाहिए। अधिकृत साइट से ही बुकिंग करनी चाहिए। संबंधित कंपनी में व्यक्तिगत तौर पर जाने का प्रयास करना चाहिए ताकि कंपनी की प्रमाणिकता के बारे में जानकारी हो सके।
ये बरतें सावधानी
1. पैकर्स-मूवर्स को बुक करते वक्त उसकी वेबसाइट को पूरी तरह खंगाल लें। कंपनी के मालिक और कर्मचारी के आधार कार्ड की फोटो कॉपी अपने पास जमा कर लें।
2. ऑनलाइन आधार की जांच के दौरान फोटो का कंपनी मालिक के चेहरे से ठीक से मिलान कर लें। सामान ले जाने वाले व्यक्ति का अपने मोबाइल से फोटो खींच लें।
3. सरकारी विभाग में कंपनी का रजिस्ट्रेशन आदि को ठीक से चेक कर लें। यदि सामान ले जाते वक्त चालक और पैसे मांगता है तो वह ठग है, तुरंत पुलिस से शिकायत करें।
दो महीने बाद भी नहीं मिला सामान
सेक्टर-121 निवासी राज कुमार का ट्रांसफर गोवा में हो गया था। उन्होंने अपनी कार और कुछ घरेलू सामान को गोवा भेजने के लिए मूवर्स एंड पैकर्स कंपनियों को ऑनलाइन सर्च किया था। एक जून को कुलदीप ने उनसे संपर्क किया और खुद को पैकर्स एंड मूवर्स कंपनी से बताया। उसने 13 हजार रुपये लेने के बाद भी सामान और कार गोवा नहीं पहुंचाई और गायब हो गया। उन्होंने पुलिस थाने में केस दर्ज कराया है।
ऐसे करें असली की पहचान
कोई भी ग्राहक पैकर्स एंड मूवर्स की खोज के लिए इंटरनेट के सर्च इंजन पर जाने के बजाय सीधे इनके संगठन की साइट पर जा सकते हैं। इसके लिए संगठन की वेबसाइट https://moversfederation.org पर संपर्क किया जा सकता है। चाहें तो मोबाइल नंबर 7090678678 पर कॉल करके भी असली मूवर्स का नाम कंफर्म कर सकते हैं। इस पर सभी शहरों के असली मूवर्स के नाम हैं।
भुगतान के बाद भी कार केरल नहीं पहुंची
सेक्टर-50 निवासी संजय प्रताप ने पैकर्स-मूवर्स नाम की एक कंपनी से संपर्क किया था। उन्होंने अपनी कार केरल भेजने के लिए उनसे बात की। अधिकारियों ने कार को केरल भेजने के लिए 15 हजार रुपये मांगे। संजय ने उन्हें 15 हजार रुपये का भुगतान कर दिया। उनकी कार उनके बताए गए स्थान पर नहीं पहुंची है। पीड़ित ने सेक्टर-39 थाने में शिकायत दी थी।