आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने सोमवार को राज्यसभा में नियम 267 के तहत ‘दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दुरुपयोग’ को लेकर सस्पेंशन ऑफ बिजनेस का नोटिस दिया। सिंह ने एक पत्र में आरोप लगाया, ‘केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही जांच आम आदमी के काम में बाधक बन रही है। सीबीआई और ईडी के साथ, कोई ऐसी एजेंसी नहीं बची है जिसका केंद्र सरकार ने दुरुपयोग नहीं किया हो।’
संजय ने यह नोटिस ऐसे समय पर दिया है जब दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की नई आबकारी नीति के कथित उल्लंघन को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो से इसकी जांच की सिफारिश की है। सक्सेना ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा शराब लाइसेंस के आवंटन में गड़बड़ी को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया है।
मुख्य सचिव द्वारा 8 जुलाई को दी गई एक रिपोर्ट ने जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों के लेनदेन (टीओबीआर) 1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम 2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम 2010 में प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में आबकारी नीति को उच्च पदों पर बैठ व्यक्तियों और निजी शराब व्यवसायियों को वित्तीय लाभ पहुंचाने के एकमात्र उद्देश्य से लागू किया गया है।
शराब लाइसेंसधारियों को दिया अनुचित लाभ
एलजी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने वैधानिक प्रावधानों और अधिसूचित आबकारी नीति के उल्लंघन में बड़े फैसले/ कार्रवाई की और उन्हें निष्पादित किया, जिसमें वित्तीय अनियमितता है। एलजी कार्यालय ने कहा कि सिसोदिया ने टेंडर देने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को ‘अनुचित वित्तीय लाभ’ दिया और इससे राजकोष को भारी नुकसान हुआ है।
केजरीवाल ने आरोपों को बताया फर्जी
अरविंद केजरीवाल ने सिसोदिया पर लगे आरोपों को ‘फर्जी’ बताया। दिल्ली के सीएम ने कहा कि वह सिसोदिया को 22 साल से जानते हैं और वह एक ‘ईमानदार’ व्यक्ति हैं। 2021 में कोविड-19 महामारी के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली कैबिनेट ने आबकारी नीति पारित की थी। एलजी कार्यालय ने कहा, ‘जब लोग मर रहे थे, आजीविका पर संकट मंडरा रहा था, व्यवसाय बंद हो रहे थे, तब जिन्हें वित्तीय सहायता देने के बजाय केजरीवाल सरकार के दिमाग में शराब व्यापारियों को रिश्वत और कमीशन के बदले फायदा पहुंचाने की बात चल रही थी।’