सुहेलदेव भारत समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी गठबंधन छोड़ किसी के भी साथ जाने के लिए अपनी ओर से आजाद कर दिया है। इस आजादी के बाद ओमप्रकाश राजभर के कभी बसपा तो कभी एनडीए गठबंधन में शामिल होने की अटकलें लग रही हैं। इस बीच ओमप्रकाश राजभर ने समाचार चैनल न्यूज 18 से बातचीत में स्पष्ट किया है कि अभी तक बीजेपी की ओर से उन्हें कोई ऑफर नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बात होगी तब इस बारे में सोचेंगे और फैसला लेंगे।
उधर, उनकी पार्टी के नेता अरूण राजभर ने चैनल से बातचीत में कहा कि जब तक बात नहीं होती तब तक कुछ कहना जल्दबाजी होगी। सुभासपा हमेशा से दलितों-वंचितों के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ती रही है। पार्टी में अभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक-मंथन का दौर चल रहा है। 2024 को लेकर रणनीति बन रही है। जौनपुर, बस्ती, आजमगढ़ सहित आठ मंडलों की बैठक के बाद दो-चार दिन में रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमारा प्रयास होगा कि बीएसपी से बात हो। उधर से कुछ बात हो तो देखा जाएगा।
क्या वाकई बीएसपी के साथ जाना चाहते हैं राजभर?
बता दें कि इसके पहले सुभासपा चीफ ने भी बसपा के साथ जाने की बात की थी लेकिन उनके बयान को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इसके उलट यह कयासबाजी तेज हो गई है कि राजभर भाजपा से ही जुड़ेंगे। वर्ष 2024 आमचुनाव से पहले प्रदेश में वह सत्ता में भागीदारी पा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि राजभर को लेकर ताजा अटकलें यह हैं कि अगले एक सप्ताह के अंदर उनकी मुलाकात भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से होने वाली है।
यूपी सरकार में हो सकते हैं शामिल
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से ओमप्रकाश राजभर की मुलाकात में यह तय होगा कि आम चुनाव 2024 में साथ-साथ चलने के लिए राजभर को किस तरह प्रदेश की सत्ता में समायोजित किया जाए।
कबसे लिखी जा रही थी सपा से अलगाव की पटकथा
सपा से अलगाव की पटकथा विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद से लिखी जाने लगी थी। दिल्ली में भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात के बाद राजभर की नजदीकियां फिर से भाजपा के केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं से बढ़ने लगीं। इन नजदीकियों की हर सूचनाएं सपा मुखिया अखिलेश को हो गई थीं जिसके बाद से उन्होंने अहम फैसलों में राजभर को साथ लाने से परहेज करना शुरू कर दिया। राष्ट्रपति चुनाव में सपा और सुभासपा की दूरियां सतह पर दिखने लगीं।
निगाहें एमएलसी की एक सीट पर
गठबंधन टूटने से सुभासपा के नेता व कार्यकर्ता खुश हैं। उन्हें महसूस हो रहा है कि जल्द ही उनकी भागीदारी सत्ता में होगी। नजरें एमएलसी की दो सीटों में से एक पर है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व राजभर को साथ लाने के लिए एक सीट दे भी सकता है। इसके अलावा निगमों, बोर्डों, आयोगों में इनके कुछ नेताओं को जगह दी जा सकती है।
पक्के सुबूत के बाद ही होगी कार्रवाई
इस काम से जुड़े एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि केवल शक के आधार पर किसी को क्रास वोटिंग के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। बताया जा रहा है कि पार्टी किसी भी सूरत में क्रास वोटिंग करने वाले विधायकों को निष्कासित नहीं करेगी। इसके बजाए उन्हें भी ‘जहां मान सम्मान मिले वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैंग, की तर्ज पर पार्टी उन पर कार्रवाई करेगी यानी उन्हें भी खुद से आजाद कर देगी।