महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने अपनी पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार के औरंगाबाद को संभाजी नगर करने के फैसले को पलट दिया है। इसके अलावा उस्मानाबाद के नाम को बदलने का फैसला भी पलटा गया है। सरकार का कहना है कि उसके लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और एक बार फिर से इसे कैबिनेट से पारित कराना होगा। अब नामों को बदलने के फैसले को स्थगित करने पर उद्धव ठाकरे ग्रुप ने एकनाथ शिंदे सरकार पर हमला बोला है। संजय राउत ने तीखा तंज कसते हुए सवालिया अंदाज में कहा कि औरंगजेब आपका रिश्तेदार कैसे बन गया?
दो दिनों के विदर्भ दौरे पर निकले संजय राउत ने नागपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हिंदुत्व के मुद्दे पर सरकार बनाने वाले लोगों ने ऐसा फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि यह सरकार महाराष्ट्र विरोधी है। इसीलिए औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के फैसले को पलट दिया। नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम बदलने का प्रस्ताव भी स्थगित किया है, जिसे हिंदू नेता डीबी पाटिल के नाम पर रखा गया था। संजय राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे के हाथ में तो कुछ है ही नहीं। सरकार तो देवेंद्र फडणवीस ही चला रहे हैं। संजय राउत ने कहा कि बुलेट ट्रेन जैसे फैसलों को तो समझा जा सकता है, लेकिन यह गलत है।
यही नहीं संजय राउत ने कहा कि इस सरकार पर तो सुप्रीम कोर्ट की तलवार लटक रही है। उन्होंने एकनाथ शिंदे गुट की ओर से खुद पर हमला किए जाने का भी जवाब दिया। राउत ने कहा, ‘क्या मैं शिवसेना का मालिक हूं? शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की है। बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना के लिए लाखों शिवसैनिक अपनी जान देने को तैयार हैं। अगर बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना के साथ रहना शिवसेना का अंत कहा जाता है, तो वफादारी की परिभाषा बदलनी होगी।’ उन्होंने कहा कि शिवसेना एक बार फिर से राज्य की सत्ता में आएगी। उन्होंने कहा कि जो शिवसेना को खत्म करना चाहते थे, वे भाजपा के साथ गए हैं।
एकनाथ शिंदे नहीं, देवेंद्र फडणवीस ही असली सीएम: संजय राउत
संजय राउत ने संसद में शब्दों की मर्यादा तय किए जाने पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि संसद में हमें हाथ-पैर बांधकर चेहरे पर गोंद लगाना होता है। राउत ने कहा कि उपमुख्यमंत्री टिकट देते हैं, माइक खींचते हैं, शर्ट खींचते हैं। ऐसा लग रहा है कि यह सरकार एकनाथ शिंदे की नहीं है बल्कि देवेंद्र फडणवीस ही असली मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी तंज कसते हुए कहा कि वह ठाकरे सरकार के दौरान संविधान और कानून की बातें करते थे। अब देखना होगा कि क्या उन्होंने इन मुद्दों को समुद्र में फेंक दिया है।