अफ्रीका से बंगाल होते हुए बिहार के सीमांचल में नैरोबी मक्खी का आक्रमण हो चुका है। नैरोबी मक्खी शरीर के किसी भी अंग पर बैठने से खुजलाहट एवं जलन कर घाव उत्पन्न करने तथा आंख पर बैठने से आंख की रौशनी चली जाती है। ऐसे में नैरोबी मक्खी से फैलने वाली संक्रमण की रोकथाम के लिए अपने अपने क्षेत्र में प्रचार प्रसार के माध्यम से लोगों को जागरुक करते हुए विशेष सतर्कता एवं आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। सिक्किम और बंगाल के सिलीगुड़ी में मक्खी कई लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है। नैरोबी मक्खी एसिड फ्लाई से संक्रमित है। इसके फैलने की रफ्तार बहुत तेज है।
स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम ब्रजेश कुमार के मुताबिक किशनगंज में एक केस मिलने के बाद पूर्णिया में भी अलर्ट है। नैरोबी मक्खी के बंगाल के रास्ते प्रवेश करने की संभावना को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है। सिविल सर्जन डा. एसके वर्मा ने संबंधित विभागों को पूरी तरह से सावधान रहते हुए अलर्ट की दिशा में आवश्यक कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस संबंध में प्रभारी उपाधीक्षक, अनुमंडलीय अस्पताल धमदाहा, बनमनखी, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं रेफरल अस्पताल पूर्णिया जिला के सभी कार्यक्रम पदाधिकारी यक्ष्मा, मलेरिया, फाइलेरिया प्रशिक्षण एवं कुष्ठ को निर्देश दिया है कि नैरोबी मक्खी बंगाल के रास्ते से प्रवेश करने की संभावना है।
लक्षण
नैरोबी मक्खी शरीर के किसी भाग में बैठने पर घाव या जख्म पैदा करती है। आंख पर बैठने से आंख की रौशनी जाने की संभावना रहती है। घाव और जख्म वाले स्थल पर जलन होती है। यह लाल होता है।
बचने के उपाय
मक्खी के शरीर पर बैठने पर धीरे हल्के से इसे किसी सामग्री से हटाना श्रेयस्कर होगा। इसे कतई मसलना नहीं है। नहीं तो गंभीर परिणाम हो सकता है। श्रेयस्कर होगा कि अनानास, मीठी सामग्री जिसके आसपास मक्खियां मंडराती हो वहां जाने से बचें। अपने घर परिसर को साफ रखे जिससे मक्खियों का जमावड़ा न हो।
क्या करें उपचार
डॉक्टर के मुताबिक इस मक्खी को हल्के से शरीर से तुरंत हटा दें। सेट्रीजीन, फेक्सोफेनेडियन या डेक्सोना इंजेक्शन लें। जख्म वाले जगह पर एंटीबोयिटम क्रीम लगाएं। ओरल सिस्टमिक एंटीबायोटिक का सेवन करें।