लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर संगठन में व्यापक फेरबदल किया है। मंडलीय व्यवस्था को समाप्त करते प्रदेश को छह भागों में बांटते हुए तीन-तीन मंडल का एक जोन बनाया है। प्रत्येक जोन में दो-दो मुख्य जोन इंचार्ज बनाए गए हैं। इसके साथ ही प्रदेश प्रभारी का पद भी समाप्त कर दिया गया है। बसपा सुप्रीमो ने गुरुवार को मंडल प्रभारियों की बैठक बुलाई थी। इसमें संगठन के विस्तार को लेकर दी गई जिम्मेदारियों की चर्चा की गई। बसपा में अभी तक मंडलीय व्यवस्था थी। इसमें तीन प्रभारी हुआ करते थे। मायावती को सीधे फीडबैक देने के लिए मुनकाद अली, राजकुमार गौतम और विजय प्रताप तीन प्रदेश प्रभारी बनाए गए थे। ये सभी व्यवस्थाएं समाप्त कर दी गई है।
नई व्यवस्था में तीन मंडल पर एक जोन इसमें दो मुख्य जोन इंचार्ज और प्रत्येक मंडल पर तीन से पांच प्रभारी बनाए गए हैं। मंडल स्तर पर यह काम देखेंगे और मुख्य जोन इंचार्ज को इसकी सूचना देंगे। मुख्य जोन इंचार्ज मायावती को सीधे रिपोर्ट करेंगे।
किस जोन का कौन प्रभारी
गोरखपुर, बस्ती व देवीपाटन- दिनेश चंद्र, सुधीर भारती, अयोध्या, वाराणसी, आजमगढ़- शमसुद्दीन राइन, मदन राम, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद- नौशाद अली, राजकुमार गौतम, आगरा, अलीगढ़, बरेली- मुनकाद अली व सूरज पाल सिंह, कानपुर, झांसी, चित्रकूट- विजय प्रताप, बीबी अंबेडकर और लखनऊ प्रयागराज व मिर्जापुर- घनश्याम चंद्र खरवार व अखिलेश अंबेडकर को जिम्मेदारी दी गई है।
निकाय कमेटियों का गठन होगा: चुनाव को देखते हुए सभी निकायों में कमेटियों के गठन का निर्देश दिया गया है। इसमें सभी वर्गों को रखा जाएगा। इसके आधार पर ही उम्मीदवारों का पैनल तैयार करते हुए पार्टी मुख्यालय को उपलब्ध कराया जाएगा। क्षेत्र में मजबूत पकड़ वाले को ही उम्मीदवार बनाया जाएगा।
नहीं दिखे सतीश चंद्र मिश्र
मायावती की बैठक में राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र का न दिखना चर्चा का विषय रहा। अमूमन सभी बैठकों में उनकी उपस्थिति रहती है। खासकर जब बसपा सुप्रीमो कोई बैठक ले रही हों। बैठक में शामिल होने वाले कुछ नेताओं ने इसकी पुष्टि की है।
मजबूत होकर फतह करें 2024: मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने जमीन पर मजबूत होकर मिशन-2022 को फतेह करने का मूलमंत्र कार्यकर्ताओं का दिया है। बसपा सुप्रीमो गुरुवार को आजमगढ़ और रामपुर उप चुनाव परिणाम आने के बाद सभी मंडल के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ कर रही थीं। उन्होंने कहा कि विरोधी शक्तियों के साम, दाम, दंड, भेद आदि के अलावा जातिवादी संकीर्ण हथकंडों के दुरुपयोग से अपार जनसमर्थन का सही समय पर वोट में ट्रांसफर होने से रह जाता है। इसे ध्यान में रखकर आगे काम करना है।