राजधानी दिल्ली में साइबर बदमाश न सिर्फ केवाईसी अपडेट के नाम पर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं, बल्कि इस रकम से अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान कर रहे हैं, ताकि शिकायत होने पर पुलिस इन रुपयों को खर्च करने से रोक न सके। हाल में करीब आधा दर्जन मामलों की जांच में पुलिस को बदमाशों के इस नए ट्रेंड के बारे में पता चला है। फिलहाल, पुलिस इन मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है।
दरअसल, ऑनलाइन ठगी के मामले में शिकायत मिलने पर पुलिस बदमाशों के बैंक खाते में रुपये होल्ड कर देती है। इससे बदमाश उन रुपयों का उपयोग नहीं कर पाते हैं। बदमाश इससे बचने के लिए पहले अपने क्रेडिट कार्ड से रुपये खर्च कर रहे हैं और फिर उसमें ठगी के रुपये ट्रांसफर कर रहे हैं। ऐसे में यदि पुलिस ने रुपये होल्ड भी कराए तो क्रेडिट कार्ड प्रदाता का नुकसान होगा।
वहीं, यदि जांच में देरी हुई और पुलिस रुपये होल्ड नहीं करा सकी तो आरोपी क्रेडिट कार्ड से खरीदारी जारी रखते हैं। आरोपी जिन क्रेडिट कार्ड में ठगी की रकम ट्रांसफर करते हैं, वे सभी जाली दस्तावेज पर लिए गए होते हैं, जिससे आरोपियों तक पहुंचना आसान नहीं होता।
इस तरह कर रहे ठगी
जालसाज लोगों को कॉल कर खुद को बैंककर्मी बताते हैं और कहते हैं कि केवाईसी अपडेट नहीं होने पर आपकी इंटरनेट बैंकिंग बंद हो जाएगी। इसके बाद आरोपी केवाईसी अपडेट के नाम पर बैंक खाते की जानकारी ले लेते हैं। फिर, आगे की प्रक्रिया के बहाने ओटीपी नंबर लेकर बैंक खाते से रुपये उड़ा लेते हैं। लोगों का ठगी का पता तब चलता है, जब उन्हें निकासी का मैसेज आता है।
गुजरात और झारखंड के गैंग सक्रिय
शाहदरा के रहने वाले ललित रस्तोगी के साथ केवाईसी के नाम पर ठगी की गई। उनकी शिकायत पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि उनके बैंक खाते से क्रेडिट कार्ड में रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। इस वारदात को गुजरात और झारखंड से अंजाम दिया गया है। पुलिस ने गुजरात से आरोपी प्रवेश मिश्रा, बृजेश कुमार और झारखंड से कैलाश कुमार मंडल को गिरफ्तार किया। इन आरोपियों के पास से चार क्रेडिट कार्ड मिले।
पुलिस की तत्परता
साइबर पुलिस ने ठगी की वारदात पर रोक लगाने के लिए 1930 हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। ठगी के तुरंत बाद शिकायत करने पर पुलिस बैंकों की मदद से ठगी के रुपये को बदमाशों के बैंक खाते में होल्ड करा देती है। इससे बदमाश रुपये नहीं निकाल पाते हैं और पीड़ित के खाते में रुपये वापस ट्रांसफर करा दिए जाते हैं।
जालसाजों की कारस्तानी
जालसाज ठगी की रकम से जाली दस्तावेज पर खुले क्रेडिट कार्ड का भुगतान कर रहे हैं। ऐसे में यदि पुलिस रकम क्रेडिट कार्ड में होल्ड भी करा देती है तो बदमाश पहले से उतनी रकम की खरीदारी कर चुके होते हैं। वहीं, शिकायत में देरी और कार्रवाई होने तक बदमाश क्रेडिट कार्ड में ट्रांसफर रुपये का दोबारा इस्तेमाल करते रहते हैं। इस दौरान वे दुकानों से कमिशन के जरिए क्रेडिट कार्ड से नकदी भी निकलवा लेते हैं। आरोपी क्रेडिट कार्ड का तब तक इस्तेमाल करते हैं, जब तक कि पुलिस उन्हें बंद नहीं करा देती हैं।
ये सावधानी बरतें
– फोन पर बैंक खाते की केवाईसी न कराएं
– खाते से संबंधित कोई भी जानकारी बैंक जाकर प्राप्त करें
– किसी अनजान को अपने बैंक खाते की जानकारी न दें
– ओटीपी नंबर बिल्कुल साझा न करें
– ठगी होने पर तुरंत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करें
साइबर अपराध
वर्ष मामले
2021 38110
2020 37280
2019 23300
2018 13200