देशभर में अग्निपथ योजना के खिलाफ युवा सड़क पर उतर रहे हैं। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन पर पत्थर फेंके, बोगियों को आग के हवाले कर दिया और ट्रेनों की आवाजाही रोक दी है। इसी बीच अग्निपथ योजना के खिलाफ पलवल में हिंसक विरोध के बाद, हरियाणा सरकार ने एहतियातन फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को 24 घंटे के लिए निलंबित कर दिया है।
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश शुक्रवार सुबह 12 बजे से लागू हो गया है। आदेश के अनुसार, मोबाइल इंटरनेट सेवा, बल्क एसएमएस (बैंकिंग और मोबाइल रिचार्ज को छोड़कर) सहित सभी एसएमएस और सभी डोंगल सेवाओं को निलंबित कर दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
विभाग ने एक बयान में कहा कि उग्र प्रदर्शनकारियों से बल्लभगढ़ अनुमंडल में तनाव, खीज, बाधा या व्यक्तियों को चोट पहुंचाना, मानव जीवन और संपत्ति के लिए खतरा और सार्वजनिक शांति भंग करने की संभावना है। हरियाणा के गृह सचिव ने कहा, ‘भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भीड़ के जमावड़े की लामबंदी के लिए मोबाइल फोन और एसएमएस के जरिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर दुष्प्रचार और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए, दूरसंचार सेवाओं का अस्थायी तौर पर निलंबन किया जाता है।’
आदेश में आगे कहा गया है, ‘मैं बल्लभगढ़ के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में वॉयस कॉल को छोड़कर मोबाइल नेटवर्क पर प्रदान की जाने वाली मोबाइल इंटरनेट, सभी तरह के एसएमएस सेवा और सभी डोंगल सेवाओं आदि के निलंबन का आदेश देता हूं। हरियाणा के सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।’
पलवल में 70 युवा नामजद
पलवल शहर थाना पुलिस ने पीडब्ल्यूडी एक्शन नरेंद्र यादव के बयान पर 70 नामजद सहित 700- 800 युवाओं के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने लूटपाट हत्या के प्रयास सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है। कैंप थाना पुलिस ने बीडीपीओ नरेश कुमार के बयान पर 72 नामजद प्रदर्शनकारी युवाओं पर केस दर्ज किया है। एसआईटी की टीम उन प्रदर्शनकारियों की तलाश कर रही है जिनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है। अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उपद्रव के दौरान जिला अधिकारी में से कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा। अगर जिला अधिकारियों में से कोई भी मौके पर पहुंच जाता तो आंदोलनकारियों को समझाया जा सकता था, लेकिन डीसी और एसपी कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा।