राजधानी दिल्ली के हौजखास थाना पुलिस ने किडनी रैकेट मामले में शुक्रवार को दिल्ली के एक नामी अस्पताल के सर्जन को गिरफ्तार किया। आरोपी 34 वर्षीय डॉ. प्रियांश शर्मा उर्फ समीर मुख्य आरोपी कुलदीप के गुहाना स्थित किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर में काम कर रहा था। वह इसके लिए कुलदीप से मोटी रकम लेता था। पुलिस आरोपी डॉ. प्रियांश से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।
डीसीपी बेनिता मैरी जैकर ने बताया कि आरोपी डॉ. प्रियांश दिल्ली के रोहिणी का रहने वाला है। उसने उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित एक कॉलेज से 2007 से 2013 तक एमबीबीएस की पढ़ाई की। इसके बाद एमएस की पढ़ाई साल 2015 से 2018 तक सैफई, इटावा से की। वह दिल्ली के एक नामी अस्पताल में सर्जन है। पुलिस उससे यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है उसने कितने ट्रांसप्लांट किए थे और कुल कितनी रकम ली है।
पुलिस पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह से जुड़े बाकी लोगों की भी तलाश कर रही है। जो सदस्य दिल्ली से बाहर हैं, पुलिस की टीम उनके भी ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। साथ ही पुलिस किडनी पीड़ितों व उसे लगवाने वाले लोगों की पहचान करने का प्रयास कर रही है। इसके ज्यादतर लोग दूसरे राज्यों के भी हैं।
यह भी जानें
● 10 आरोपियों की गिरफ्तारी अब तक इस मामले में हो चुकी है।
● पुलिस गिरोह से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है।
● डॉक्टर प्रियांश शर्मा ने अब तक कितने ट्रांसप्लांट किए, पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।
जाल में फंसाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती थी
गिरोह में शामिल होने वाले नए सदस्यों को किडनी डोनर को फंसाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती थी। उनकी छोटी-मोटी मदद कर विश्वास बनाने और फिर मुफ्त में कई चीजों को उपलब्ध कराने का झांसा देने का तरीका बताया जाता था। अगर एक सदस्य डोनर को अपनी जाल में फंसाने में कामयाब नहीं होता था तो उसके लिए दूसरे सदस्य हो भेजा जाता था।
निशुल्क इलाज का झांसा देकर फंसाते थे
पुलिस जांच में यह भी पता चला कि गिरोह के सदस्य गरीब व बीमार लोगों को निशुल्क इलाज का झांसा देते थे। इसके बाद उन्हें उपचार के बहाने गुहाना किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर लेकर जाते थे और फिर वारदात को अंजाम देते थे। वह तब तक पीछे पड़े रहते थे, जब तक कि वह उनके साथ जाने को तैयार नहीं हो जाता था। इसके लिए कई हथकंडे अपनाते थे।