बिहार में विधान परिषद चुनाव से पहले एक बार फिर महागठबंधन में कलह खुलकर सामने आ गई। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने कांग्रेस और लेफ्ट से पूछे बिना तीन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया। इससे आहत कांग्रेस ने लेफ्ट के सहयोग से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। ऐसे में तेजस्वी यादव ने भी दबाव बढ़ाने के लिए ‘ओवैसी दांव’ चलने का प्लान बना रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो आरजेडी की एआईएमआईएम के साथ करीबी बढ़ रही है और इसके पीछे मुख्य वजह कांग्रेस और लेफ्ट को संदेश देना है। उन्हें यह जताने की कोशिश है कि यदि उन्होंने इरादा नहीं बदला तो आरजेडी साथी बदलने को तैयार है। अभी ओवैसी की पार्टी महागठबंधन में शामिल नहीं है। बिहार में एआईएमआईएम के 5 विधायक हैं।
आरजेडी के पास इस समय कुल 76 विधायक हैं। विधान परिषद की एक सीट जीतने के लिए 31 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। ऐसे में आरजेडी की 2 सीटों पर जीत तय है। लेकिन तीसरे सीट पर जीत के लिए उसके पास 17 वोटों की कमी है। कांग्रेस के पास 19 और लेफ्ट के पास 12 विधायक हैं। ऐसे में यदि गठबंधन सहयोगी साथ बने रहते तो तीसरे सीट पर भी जीत तय थी।
महागठबंधन में फूट की वजह से अब तीसरे सीट पर पेंच फंस गया है। ऐसे में आरजेडी ओवैसी की पार्टी से हाथ मिलाने को तैयार है। बुधवार को जातीय जनगणना को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक से पहले तेजस्वी यादव ने विपक्षी विधायकों से मुलाकात की। इसमें एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान भी मौजूद रहे। हालांकि, ओवैसी की पार्टी के पास विधायकों की इतनी संख्या नहीं कि आरजेडी को जीत दिला सके, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि लेफ्ट और कांग्रेस के कुछ विधायक भी क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं।