राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद को सलाह दी है कि राज्यसभा के इसी चुनाव में वे तेजस्वी के हाथ में दल की संपूर्ण कमान सौंप दें। अपने फेसबुक पोस्ट में कहा है कि पूर्व में भी अनेक अवसरों पर एक से अधिक मर्तबा मैंने उनको सलाह दी है। लेकिन, उन्होंने उनकी अनदेखी की। फलस्वरूप उनका तो नुकसान हुआ ही, सामाजिक न्याय आंदोलन को भी नुकसान पहुंचा।
शिवानंद ने उम्मीद जताई है कि इस बार लालू जी उनकी सलाह का आदर करेंगे। उन्होंने कहा है कि जब लालू प्रसाद ने अपने राजनीतिक वारिस के रूप में तेजस्वी यादव को चुना तो राजद ने संपूर्ण हृदय से इसको स्वीकार किया। यह जरूरी भी था। इसलिए भी कि बिहार देश का सबसे युवा प्रदेश है। बिहार की पूरी आबादी में 58 फीसद आबादी 25 बरस से नीचे वालों की है। इस आबादी के सपनों व आकांक्षाओं को लालू प्रसाद सहित हम पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं समझते हैं। वक्त बदला है। यह आबादी गांवों के उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है, जिसके महारथी लालू जी हैं।
राजद नेता का कहना है कि विधानपरिषद हो या राज्यसभा, इन सदनों में कौन जाएगा इसे तय करने की जिम्मेदारी तेजस्वी को सौंपी जानी चाहिए। उनका कहना है कि युवाओं के बीच तेजस्वी की पैठ है। इसका आकलन चुनाव के दो परिणामों में देखा जा सकता है। शिवानंद का कहना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन से लेकर नेतृत्व तक का जिम्मा तेजस्वी ने संभाला था। परिणामस्वरूप राजद सबसे बड़ा दल बनकर उभरा। युवाओं ने तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार किया है।