राजधानी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में ट्रिपल सुसाइड के मामले में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। बीमार मां मंजू और बहन अंशुता की मौत सुनिश्चित करने के लिए अंकिता ने घर को गैस चैम्बर बनाने का तरीका चुना था। अंकिता अपने बाद किसी भी कीमत पर दोनों को जिंदा रखना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे डर था कि अगर दोनों बच गईं तो उनकी देखभाल कौन करेगा।
सुसाइड नोट की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिता की मौत के बाद घर का सारा काम और नौकरी अंकिता ही करती थी। वह नौकरी करने के बाद भी घर का गुजारा नहीं चला पा रही थी। उधर, रिश्तेदारों और पड़ोस के लोगों से उसके परिवार के संबंध पूरी तरह से खत्म हो गए थे। ऐसे में अकेलेपन और आर्थिक स्थिति बिगड़ने के चलते तीनों अवसाद का शिकार हो गए थे। समय से मदद और इलाज नहीं मिलने के चलते उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, इस घटना को अंकिता ने अपनी बहन के साथ मिलकर अंजाम दिया था। दोनों बहनें अवसादग्रस्त थीं, जिसमें अंशुता की स्थिति ज्यादा खराब थी। ऐसे में अंकिता किसी भी कीमत पर अपनी मां और अंशुता को अपनी मौत के बाद जिंदा नहीं देखना चाहती थी, इसलिए अंकिता ने घर को गैस चैम्बर बनाने से पहले मां और बहन को नींद की गोली खिला दी थी, जिससे घुटन होने पर दोनों खुद को बचाने की कोशिश न कर सकें।
अधिकारी का कहना है कि सभी सुसाइड नोट पढ़ने के बाद एक बात साफ हो जाती है कि मंजू और उसकी दोनों बेटियां उमेश की मौत के बाद खासा परेशान थीं। उनका सामाजिक दायरा बड़ा नहीं होने के चलते तीनों अकेली पड़ गई थीं, जिसके चलते उन्होंने खुद को घर में बंद कर लिया था। जरूरत का सामान लेने के लिए वह घरेलू सहायिका कमला को बाहर भेजती थीं या फिर अंकिता ऑनलाइन सामान मंगवाया करती थी।
पांच से आठ मिनट में मौत : एफएसएल टीम के सूत्रों ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद ऐसा लगा रहा है कि घर को गैस चैम्बर में बदलने से पहले तीनों ने नींद की गोली खाई थीं। अगर ऐसा न होता तो जितनी तेजी से तीन अंगीठी जलने के बाद घर में कार्बन मोनोक्साइड गैस बनी होगी। उससे दम घुटने पर व्यक्ति जान बचाने के लिए भागने लगता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। नींद की गोली की वजह से तीनों को दम घुटने का पता ही नहीं चला और पांच से आठ मिनट के दौरान मौत हो गई होगी।
चूहे भी मृत अवस्था में मिले : घर के हर उस हिस्से को बंद कर दिया गया था, जहां से हवा या रोशनी आती है, ताकि कहीं से भी गैस का रिसाव न हो सके। गैस का रिसाव शुरू होते ही घर में मौजूद चूहे भी बाहर नहीं निकल सके। एफएसएल की टीम को छह चूहे घर में मृत अवस्था में मिले हैं।
कोई भी हमें बचाने की कोशिश नहीं करे
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मौके से मिले सुसाइड नोट में लिखा है कि हमें बचाने की कोशिश न करना। अगर हम बच भी गए तो हमारे लिए यह बहुत खतरनाक होगा। हमारा ब्रेन डैमेज हो चुका होगा और हमारी जिंदगी बर्बाद हो चुकी होगी। हम भीख मांगते हैं कि हमें कोई भी नहीं बचाए। हम खुद मरना चाहते हैं।
छोटी बेटी अंशुता को पिता से था लगाव
मंजू के भतीजे प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि छोटी बेटी अंशुता को पिता उमेश श्रीवास्तव से ज्यादा लगाव था। प्रवीण ने बताया कि उमेश एक सीए के पास काम करते थे। वह अंशुता को भी सीए बनाना चाहते थे, जिसके लिए वह उसकी तैयारी करवा रहे थे। उमेश अंशुता को कोचिंग सेंटर से लेकर बाजार तक खुद लेकर जाते थे।
क्या है विशेषज्ञों की राय?
इहबास अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश ने बताया कि आत्महत्या के दो रूप होते हैं एक एक्सटेंट सुसाइड और दूसरा पैक्ड सुसाइड। एक्सटेंट सुसाइड में मरने वाला व्यक्ति अपने साथ उन सभी लोगों को मार देता है, जो उस पर निर्भर करते हैं। वह अपने बाद उनके भविष्य को लेकर चिंतित होता है, जबकि पैक्ट सुसाइड में आत्महत्या करने वाले सभी लोग एक साथ तय करते हैं कि उन्हें मरना है, जिसके चलते सभी एक ही तरीके से आत्महत्या कर लेते हैं।