आजादी के पहले से लेकर लंबे समय तक उत्तर प्रदेश राज्य कांग्रेस का गढ़ रहा था, लेकिन अब वह यहां अस्तित्व बचाने को संघर्ष कर रही है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में महज दो सीटें जीतने वाली कांग्रेस अब विधान परिषद में शून्य पर पहुंचने वाली है। सन् 1935 यानी 87 सालों के बाद पहली बार ऐसा होगा, जब यूपी विधानपरिषद में कांग्रेस का कोई सदस्य नहीं होगा। फिलहाल विधानपरिषद में कांग्रेस के एकमात्र सदस्य दीपक सिंह हैं, जो 6 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं। उसके बाद कांग्रेस का कोई सदस्य नहीं रह जाएगा। दीपक सिंह जून 2016 में विधानपरिषद के लिए चुने गए थे।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के चर्चित चेहरे रहे दीपक सिंह अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में हैं और पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर लंबे समय तक काम किया था। ब्रिटिश काल में उत्तर प्रदेश विधानपरिषद का गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट के तहत 1935 में विधान परिषद का गठन हुआ था। तब से ही कांग्रेस लगातार इस सदन में मौजूद रही है, लेकिन अब वह रिकॉर्ड टूटने वाला है। यह घटनाक्रम कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी तोड़ने वाला है, जिन्हें विधानसभा चुनाव में भी करारा झटका लगा था। यूपी चुनाव में भाजपा महज दो सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी।
14 सदस्यों के साथ दूसरे नंबर पर है समाजवादी पार्टी
इस हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और उनके स्थान पर अब तक पार्टी किसी को नियुक्त नहीं कर पाई है। यूपी विधान परिषद में फिलहाल 100 सीटें हैं। इनमें से 38 लोगों का चयन विधानसभा सदस्यों के द्वारा होता है। इसके अलावा स्थानीय निकायों के जरिए 36 सदस्य चुने जाते हैं। वहीं 16 सदस्यों ग्रैजुएट और अध्यापक निर्वाचन से चुना जाता है और 10 सदस्यों का राज्यपाल मनोनयन करते हैं, जिसके लिए राज्य सरकार की कैबिनेट सिफारिश करती है। फिलहाल भाजपा के विधान परिषद में 66 सदस्य हैं, जबकि 14 मेंबर्स के साथ सपा दूसरे नंबर पर हैं। विधान परिषद के रिकॉर्ड के मुताबिक अगले कुछ महीनों में यूपी विधान परिषद के 15 सदस्य रिटायर होने वाले हैं।
बसपा का भी सदन में रह जाएगा सिर्फ एक मेंबर
रिटायर होने वाले सदस्यों में 10 नेताा समाजवादी पार्टी के हैं। इसके अलावा दो भाजपा और दो बसपा के हैं। वहीं कांग्रेस का भी एकमात्र सदस्य रिटायर हो रहा है। बसपा के भी तीन सदस्य 6 जुलाई को ही रिटायर हो रहे हैं और उसके बाद बहुजन समाज पार्टी का सदन में महज एक ही सदस्य रह जाएगा।