चुनावी डुगडुगी बजते ही पिपरा में कई दलों के नेता दम लगाने लगे हैं। दलीय गठबंधनों के हालात क्या बदले, लड़ाके भी रिश्ते बदलने लगे हैं। चुनावी जंग से पहले यहां उम्मीदवारों के चयन का ही मुकाबला रोचक होगा। फिर टिकट बंट जाने के बाद वोट के लिए घमासान का जो रोमांच होगा वह अलग।
यूं तो पूर्वी चम्पारण जिले के पिपरा विधानसभा सुरक्षित सीट पर 1957 से 2000 तक समाजवादियों व वामपंथियों का दबदबा रहा। 2005 के नए परिसीमन ने इस सीट का राजनीतिक परिदृश्य या कहें तो राजनीतिक चेहरा ही बदल दिया। 2005 में भाजपा के कृष्णनंदन पासवान ने राजद के सुरेन्द्र कुमार को हराया तब से इस सीट पर जदयू व भाजपा का कब्जा रहा है। 2010 में जदयू के अवधेश कुशवाहा ने 40,099 वोट प्राप्त कर विजयश्री हासिल की। इनके प्रतिद्वंदी रहे राजद के सुबोध यादव को 28,212 वोट से संतोष करना पड़ा था। तब अवधेश कुशवाहा एनडीए के उम्मीदवार थे। वे बिहार सरकार में मंत्री भी बने थे। लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम में उन्हें वर्ष 2015 में टिकट से हाथ धोना पड़ा। तब जदयू ने कृष्णचंद्र को अपना उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में एनडीए गठबंधन की टूट के पश्चात भाजपा के श्यामबाबू यादव ने इस सीट से जीत हासिल की। उन्हें 65,552 वोट मिले। इनके प्रतिद्वंद्वी जदयू के कृष्णचंद्र 61,622 वोट मिले।
फिलहाल गठबंधनों का गणित बदला है। ऐसे में टिकट की रेस में कई दावेदार हैं। सीट किस दल के पाले में जाती है, इस पर सबकी नजरें गड़ी हैं। मौके की ताक में लगे लड़ाके दलीय गांठ भी खोल सकते हैं।
चकिया को जाम से उबार न सके
पिपरा विधानसभा अंतर्गत चकिया मुख्य शहर है। इस शहर में जाम की गंभीर समस्या है। ओवरब्रिज की मांग होती रही है। चुनावी वादों में शुमार रहने के बावजूद यह समस्या जस की तस है। एक बार हाजीपुर रेल मंडल से अभियंताओं की टीम आकर स्वायल टेस्ट कर चुकी है। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्य आगे नहीं बढ़ सका है। चकिया की 18 पंचायतों के अलावा मेहसी की 13 और तेतरिया की नौ पंचायतें इस क्षेत्र में हैं।
सीताकुंड आज भी आस्था का प्रतीक
पिपरा में सीताकुंड नामक स्थल पौराणिक रूप से चर्चित है। मान्यता है कि त्रेता युग में सीता से विवाह के पश्चात जनकनगरी से रामचंद्र यहां चौथे दिन पहुंचे थे। यहां मां सीता के हाथ का कंगन छूटने की रस्म अदायगी हुई थी। मां सीता के स्नान के लिए सीता कुंड बनाया गया था जो आज भी मौजूद है। यहां मां सीता का भव्य मंदिर भी है। हर साल रामनवमी के अवसर पर यहां भारी मेला लगता है।