दुष्कर्म के एक मामले में अदालत के समक्ष बड़ा खुलासा हुआ है। पीड़िता ने अदालत में बताया कि उसके साथ दुष्कर्म नहीं हुआ है, बल्कि दिल्ली पुलिस उपायुक्त (द्वारका साउथ) व दो महिला पुलिस कर्मियों ने उस पर बलात्कार का झूठा मुकदमा दर्ज कराने का दबाव बनाया था।
अदालत ने मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व दो महिला पुलिस कर्मियों की भूमिका पर अफसोस जाहिर किया है। अदालत ने कहा कि पुलिस के दबाव में झूठा मुकदमा दर्ज कराना एक गंभीर मामला है।
द्वारका स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील अनुज त्यागी की अदालत ने मामले में आरोपी सागर पांडे को बरी कर दिया है। साथ ही इस आदेश की कॉपी दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। चाहे फिर वह पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी की क्यों ना हो? अदालत ने पुलिस कमिश्नर से कहा है कि खाकी की छवि को साफ रखने के लिए संबंधित पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की जाए।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामले में पुलिस की साजिश की बू आ रही है। यहां पुलिस रक्षा की बजाय प्रतिशोध लेती नजर आ रही है। पुलिस ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है, क्योंकि अदालत आम आदमी के अधिकारों और स्वतंत्रता की संरक्षक है। ऐसे में इस अवैध कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मामले में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को जिम्मेदार पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
होटल मालिक पर कार्यवाही को गलत बताया : अदालत ने मामले में होटल मालिक महिला पर की गई कार्यवाही को गलत बताया। होटल की मालकिन पर आरोपी के गलत कृत्यों में शामिल होने का आरोप था। होटल के दस्तावेजों से पता चला कि पीड़िता ने अपने वास्तविक दस्तावेज पेश किए थे। अदालत ने होटल की मालकिन को आरोपमुक्त कर दिया।
आरोपी के साथ होने का खामियाजा भुगतना पड़ा
पीड़िता ने अदालत को बताया कि 21 अक्टूबर 2021 को वह अपने दोस्त के साथ द्वारका स्थित एक होटल में गई थी। किसी के बुलाने पर उसका दोस्त कमरे से बाहर चला गया। थोड़ी देर में दो महिला पुलिसकर्मी पहुंचीं और कहने लगीं कि युवक बलात्कार के लिए उसे यहां लेकर आया है। उसे थाने लाकर बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराने को कहा गया, लेकिन उसने कहा कि वह अपनी मर्जी से गई थी। उसके बाद पुलिस उपायुक्त (द्वारका साउथ) के कार्यालय में युवती के माता-पिता को भी बुलाया गया। उपायुक्त के समक्ष उसे धमकाया गया कि अगर उसने एफआईआर दर्ज नहीं कराई तो उसे व उसके माता-पिता को भी आरोपी बनाकर जेल भेज देंगे। इस पर उसने झूठी एफआईआर दर्ज करा दी।
पुलिस की सफाई
अभियोजन पक्ष का कहना था कि 21 अक्टूबर 2021 को एक व्यक्ति ने पुलिस को फोन कर बताया था कि उसकी बेटी के साथ आरोपी ने शादी का झांसा देकर बलात्कार किया। आज वह दूसरी लड़की को लेकर उसी होटल में आया है। इस पर पुलिस ने कार्रवाई की। हालांकि, अदालत ने कहा कि यहां जिस मुकदमे की बात हो रही है, वह जबरन दर्ज कराया गया है।