प्रशांत किशोर के साथ बातचीत फेल होने के बाद से कांग्रेस पर आरोप लग रहे हैं कि वह यथास्थिति में ही रहना चाहती है और बदलाव के लिए तैयार नहीं है। हालांकि बीते दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो ऐसा नहीं लगता। हिमाचल प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक पार्टी हाईकमान ने तीन दिनों में तीन राज्यों में बदलाव कर दिए हैं। इसके अलावा कुछ दिन पहले ही पंजाब में नए प्रदेश अध्यक्ष को चुना गया है और सुनील जाखड़ एवं केवी थॉमस जैसे नेताओं पर कड़ा अनुशासनात्मक ऐक्शन लिया गया है। मंगलवार शाम को कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल प्रदेश में प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था। इसके अलावा उनके साथ 4 कार्यकारी अध्यक्षों के भी नाम घोषित किए गए हैं।
सालों से दो पदों पर डटे थे कमलनाथ, आखिर देना पड़ा इस्तीफा
उसके अगले ही दिन बुधवार को हरियाणा में लंबे वक्त से चली आ रही गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश करते हुए उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। उदयभान को भूपिंदर सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है और दलित समुदाय से आते हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति को जाट समुदाय और दलितों के बीच संदेश देने के लिए अहम माना जा रहा है। फिर अगले दिन यानी गुरुवार को मध्य प्रदेश से बड़ी खबर आई, जहां कमलनाथ का विधानसभा में नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। उनके स्थान पर गोविंद सिंह को विधानसभा में कमान दी गई है।
सचिन पायलट को लेकर भी तेज हैं कयास
कमलनाथ को लेकर फैसला अहम माना जा रहा है क्योंकि कहा जाता था कि वह अपने आगे किसी को आगे नहीं आने देना चाहते। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष दोनों ही पद उनके पास थे। ऐसे में उन्हें एक ही पद तक सीमित कर हाईकमान ने बदलाव का संदेश जरूर दिया है। यही नहीं चर्चाएं तो राजस्थान में भी बदलाव की हैं। कहा जा रहा है मई में होने वाले चिंतन शिविर के बाद सचिन पायलट को राज्य के अध्यक्ष या फिर सीएम के तौर पर ही आगे बढ़ाया जा सकता है। पिछले दिनों सोनिया गांधी से सचिन पायलट की मुलाकात ने भी इसके संकेत दिए हैं।
अनुशासन भी कायम करने का हो रहा प्रयास
एक तरफ राज्यों की यूनिट में बदलाव को लेकर कांग्रेस हाईकमान सक्रिय दिख रहा है तो वहीं अनुशासन का डंडा भी अब चलता दिख रहा है। पंजाब के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया है। इसके अलावा केरल के सीनियर नेता केवी थॉमस पर भी यही कार्रवाई की गई है। इससे कांग्रेस ने यह संकेत दिया है कि कितना भी बड़ा नेता हो, यदि वह पार्टी लाइन के खिलाफ जाता है तो फिर उसके खिलाफ ऐक्शन लेने में हिचक नहीं दिखाई जाएगी।