राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को हाल ही में बोचहां विधानसभा उपचुनाव में जीत मिली है। इसमें विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने अहम भूमिका निभाई। पार्टी ने एनडीए के वोटों को काटने का काम किया। इससे दोनों पार्टियों के रिश्ते गहरे होने की उम्मीद है। अब राजद ने अति पिछड़ी जाति के नेता और वीआईपी मुखिया मुकेश सहनी को इफ्तार पार्टी का निमंत्रण दिया है। इस पार्टी का आयोजन शुक्रवार को वरिष्ठ नेता राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने किया है।
राजद ने जमुई से सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने नेता चिराग पासवान को भी इफ्तार पार्टी का न्योजा भेजा है। यह राजद के मुस्लिम-यादवों से परे अपनी राजनीति का विस्तार करने के स्व-स्वीकृत लक्ष्य का हिस्सा है। अब पार्टी एमवाई के समीकरण से हटकर ए टू जेड (सभी वर्ग) में अपनी पैठ बनाना चाहती है। पार्टी पहले ही चिराग को महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर दे चुकी है।
चिराग ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, उनके पास कुछ ही विकल्प बचे हैं। उनके चाचा पशुपति पारस दूसरी पार्टी की कमान संभाल रहे हैं और उन्हें अनिवार्य रूप से बीजेपी के सहयोगी के रूप में प्रतिस्थापित कर दिया है। इसके अलावा बिहार में नीतीश को एनडीए का प्रमुख चेहरा मान लिया है, ऐसे में हो सकता है कि चिराग को उस गठबंधन में जगह न मिले। इसी तरह सहनी के लिए भी विकल्प सीमित हैं।
बता दें कि वीआईपी पहले राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा थी। 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों की राहें जुदा हो गईं। अब जब एनडीए ने उन्हें साइडलाइन करते हुए उनके विधायकों को अपने में मिला लिया है, इस स्थिति में बिहार की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए सहनी के पास यह एक मौका है। सहनी का वोटबैंक महत्वपूर्ण है जिसे नकारा नहीं जा सकता।
बोचहां उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार बेबी कुमारी को 36 हजार से ज्यादा वोट से शिकस्त मिली जबकि वीआईपी उम्मीदवार गीता कुमारी को 29,000 से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं राजद प्रत्याशी अमर पासवान को जीत मिली थी। ऐसा लगता है कि राजद लोकसभा और विधानसभा चुनावों की योजना बना रही है, जिसके लिए अभी कुछ समय बचा हुआ है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी।