पाकिस्तान की इकॉनमी का बुरा हाल है। पड़ोसी देश चीन सहित कई ग्लोबल संस्थाओं से मदद लेने के बाद भी पाकिस्तान की इकॉनमिक हालात ट्रैक पर नहीं आती दिख रही है। अब पाकिस्तान की सरकार ऐसे कदम उठाने को तैयार जिससे ‘श्रीलंका’ जैसे हालात हो सकते हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान की नई सरकार आंतरिक चर्चा कर रही है कि फ्यूल और पॉवर सब्सिडी को वापस ले लिया जाए।
इमरान सरकार ने बढ़ाया था राजकोष पर बोझ?
शाहबाज शरीफ से पहले पीएम इमरान खान ने सत्ता में बने रहने और लोगों के समर्थन पाने के लिए वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद फरवरी में पेट्रोल और बिजली दरों में कटौती की घोषणा की थी। इससे हुआ ये कि पाकिस्तान सरकार पर 373 बिलियन डॉलर का बोझ बढ़ गया है। इससे चल रहे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष बचाव कार्यक्रम को भी खतरे में डाल दिया है। यह जानकारी पाकिस्तान सरकार के टॉप अधिकारी ने दी है।
सब्सिडी वापस लेने का फैसला बेहद मुश्किल’
पाकिस्तान सरकार के वित्त सचिव हमीद याकूब शेख ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा है कि किसी भी तरह के राहत पैकेज से राजकोष के घाटे में इजाफा होगा जिसे हम फिलहाल वहन नहीं कर सकते हैं। खर्चों में भरपाई करना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि IMF के साथ सहमत प्राथमिक संतुलन हासिल किया गया है।
पाकिस्तान की बेहाल इकॉनमी और सब्सिडी से निपटने के लिए शाहबाज शरीफ ने अपनी आर्थिक टीम से लंबी बातचीत की है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने रॉयटर्स से बताया है कि अधिकारियों ने इकॉनमी की बेहतरी के लिए दो-तीन महीने के लिए सब्सिडी को वापस लेने की सलाह दी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि शाहबाज सरकार के लिए सब्सिडी वापस लेने का फैसला बेहद मुश्किल हो सकता है।
पाकिस्तानी रुपये में जारी है गिरावट
नई सरकार के लिए फ्यूल सब्सिडी को वापस लेना राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील होगा जो ऐसे समय में समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है जब मुद्रास्फीति 12।7 फीसद पर चल रही है। बता दें कि पिछले 10 महीने में पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू में भयंकर गिरावट आई है। 7 मई को 1 डॉलर की वैल्यू 149 रुपये थी जो अब 183 रुपये तक पहुंच गई है।