आउटर नॉर्थ साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है जो लोगों के मोबाइल में ट्रैकर अपलोड कर फर्जी आईडी बना पहले लोन लेते थे और फिर रुपये किसी मृतक के खाते में ट्रांसफर कर देते थे। जालसाज मृतक के परिजनों से पहले ही बैंक खाता खरीद लेते थे। पुलिस ने गिरोह के दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। साथ ही एक नाबालिग को भी दबोचा है।
डीसीपी बीके यादव ने बताया कि रोहिणी सेक्टर 11 स्थित आश्रम के संचालक निर्मल सिंह ने शिकायत दी थी। पीड़ित ने बताया कि उनके पेटीएम और एयरटेल एकाउंट से 4.70 लाख रुपये की ठगी हुई है। उन्होंने आश्रम में रहने वाले एक नाबालिग पर शक जताया। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर एसएचओ रमन कुमार सिंह की देखरेख में एसआई सोमवीर और एसआई दामोदर की टीम गठित की।
जांच में सामने आया कि एक साल पहले आश्रम में रहने आया नाबालिग जल्द ही पीड़ित का भरोसेमंद बन गया। राजा नाम के एक युवक ने नाबालिग की मुलाकात गिरोह के सरगना ललित से कराई। इसके बाद इन्होंने योजना बनाकर निर्मल सिंह के फोन में मोबाइल ट्रैकर अपलोड कर दिया। आरोपियों ने पीड़ित के नाम पर फर्जी आईडी बनाकर बैंक लोन ले लिया और रुपये तुरंत दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिए।
पुलिस ने जांच के बाद ललित और उसके एक अन्य साथी विश्वजीत को अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया और फिर नाबालिग को भी धर दबोचा। पता चला कि जिस खाते में रुपये भेजे गए थे, वह बबलू कुमार नाम के शख्स का था, जिसकी मौत हो चुकी है। ललित ने बताया कि सुमित के जरिए वह मृतकों और मृत्यु शैय्या पर पड़े लोगों के बैंक खातों की व्यवस्था करता था। सुमित बीमा एजेंट था जिससे उसे आसानी से इस तरह के बैंक खातों की जानकारियां मिल जाती थीं। ये लोग मृतकों या मरीजों के परिजनों को लालच देकर बैंक खाता खरीद लेते थे।
मुख्य आरोपी ने की है बीटेक की पढ़ाई
पुलिस अधिकारी ने बताया कि ललित ने बीटेक की पढ़ाई की फिर हत्या व लूट की वारदात करने लगा। लेकिन कुछ समय बाद वह साइबर अपराध में लिप्त हो गया। उसने विश्वजीत को भी अपने गिरोह में शामिल कर लिया। विश्वजीत ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की थी लेकिन सफलता नहीं मिलने पर वह कोचिंग में पढ़ाता था। कोविड के दौरान काम प्रभावित होने पर वह ठगी करने लगा।