किसी भी व्यक्ति को सफलता हासिल करने के लिए जीवन में सबसे पहले लक्ष्यों का निर्धारण करना होता है। जीवन में बिना लक्ष्य निर्धारण के सफलता अर्जित करना मुश्किल होता है। अब एक नए शोध में दावा किया गया है कि जीवन में लक्ष्य (उद्देश्य) निर्धारण करने वालों में डिमेंशिया (पागलपन या मनोभ्रंश) का खतरा कम होता है।
अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल एजिंग में प्रकाशित हुए। शोधकर्ताओं ने बताया कि उनकी टीम ने पूर्व में प्रकाशित आठ अध्ययनों के निष्कर्षों की समीक्षा की। इसमें तीन महाद्वीपों के 62,250 वयस्कों के स्वास्थ्य डाटा शामिल थे।
इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जीवन में बिना उद्देश्य वालों की तुलना में उद्देश्य या लक्ष्य निर्धारण करने वालों में मनोभ्रंश का जोखिम 19 फीसदी तक कम था। साफ शब्दों में कहें तो ऐसे लोगों में स्मृति, सोचने की क्षमता कम प्रभावित होती है।
हृदय रोग का भी जोखिम नहीं
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. जोशुआ स्टॉट का कहना है कि हमारी टीम ने अध्ययन में पाया है कि उद्देश्य की भावना मनोभ्रंश के जोखिम को कम कर सकती है। साथ ही बेहतर मानसिक स्वास्थ्य और विकलांगता और हृदय रोग के जोखिम को भी कम करती है।
शारीरिक रूप से भी स्वस्थ
शोधकर्ताओं ने बताया कि जीवन में उद्देश्य या लक्ष्य रखने वाले शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। साथ ही ऐसे लोग खुद को सामाजिक रूप से शामिल करने की अधिक संभावना रखते हैं, जो मनोभ्रंश के जोखिम से बचाने में मदद करता है।
तनाव से उबरने में कारगर
शोधकर्ताओं ने बताया कि पूर्व के अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि जीवन में उद्देश्य रखने वाले तनाव से जल्दी उबर जाते हैं। साथ ही मस्तिष्क में सूजन जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। कुल मिलाकर मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के होने का खतरा कम रहता है।
उद्देश्यपूर्ण जीवन बनाएं
डॉ. जोशुआ स्टॉट ने बताया कि सामूहिक रूप से रहकर और खुद के जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाकर डिमेंशिया से बचा जा सकता है। साथ ही डिमेंशिया रोकथाम जैसे कार्यक्रमों में शामिल होकर भी इससे छुटकारा पाया जा सकता है।