अगले महीने से कुछ और ट्रेन के बढ़ने से यात्रा आसान होगी, लेकिन जेब भी ढीली करनी होगी। देश के प्रमुख स्टेशनों पर स्टेशन विकास के लिए उपयोग शुल्क लगाने की तैयारी कर ली गई है। विभिन्न श्रेणी के यात्रियों को अलग-अलग शुल्क चुकाना होगा। इसके 10 रुपये से 35 रुपये के बीच रहने की संभावना है। इस बीच रेलवे छोटी दूरी की कुछ ट्रेन शुरू करने की तैयारी में है जो विभिन्न रेलवे जोन के बीच चलेंगी।
भारतीय रेल में सार्वजनिक और निजी भागीदारी से प्रमुख रेलवे स्टेशनों के विकास की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें धीरे-धीरे स्टेशनों की संख्या बढ़ेगी। बीते दिनों रेल बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ विनोद कुमार यादव ने कहा था कि देश में 7,000 रेलवे स्टेशन हैं और 10 से 15 फीसदी स्टेशन पर उपयोग शुल्क लगाया जाएगा। इस तरह से यह संख्या 700 से 1,000 स्टेशनों के बीच होगी। हालांकि इन सभी का विकास अभी शुरू नहीं होगा, लेकिन उपयोग शुल्क लगने लगेगा।
सूत्रों के अनुसार रेलवे इसे 10 से 35 रुपये के बीच रख सकती है। चेयरकार, शयनयान और वातानुकूलित की विभिन्न श्रेणियों के यात्रियों से अलग-अलग शुल्क लिया जाएगा। चूंकि सभी ट्रेन आरक्षित हैं, इसलिए टिकट लेने के साथ ही यह शुल्क ले लिया जाएगा। इसके लिए रेलवे जल्द ही एक प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रख सकता है।
दूसरी तरफ रेलवे कुछ और ट्रेन को चलाने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार छोटी दूरी के यात्रियों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए रेलवे अगले माह से कुछ ट्रेन शुरू करने की तैयारी में है। चूंकि त्योहारी सीजन में ज्यादा लोगों के यात्रा करने का अनुमान है और अभी जो ट्रेन चल रही हैं उनमें प्रतीक्षा सूची लंबी होती जा रही है। सीमित संख्या में शुरू की गई क्लोन ट्रेन भी आने वाले दिनों में यात्रियों के दबाब को पूरा नहीं कर पाएंगी।
दरअसल कोरोना काल में रेलवे ने सीमित रेल सेवाएं शुरू की हैं। नियमित रेल सेवा में अभी काफी समय लगेगा और इसकी इस साल शुरू होने की संभावना कम है। यात्रियों की संख्या और जरूरतों के अनुसार रेलवे विशेष ट्रेन चला रहा है, जो सभी आरक्षित होती है। हालांकि अधिकांश वही ट्रेन हैं जो पहले नियमित रेल यात्री सेवा का हिस्सा थी।