दिल्ली से सटे फरीदाबाद के नगर निगम में किए गए करीब 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोपी ठेकेदार फिलहाल विजिलेंस की गिरफ्त में है। अब बगैर काम के भुगतान किए गए करीब 50 करोड़ रुपये के घोटाला मामले में भी मुकदमा दर्ज किए जाने की तैयारी है। इस मामले में कुछ बड़े अधिकारियों पर भी मुकदमा दर्ज हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस टीम ने इसकी तैयारी कर ली है। विजिलेंस ने अपनी जांच रिपोर्ट में जिन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने का सुझाव दिया था, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ बिंदुओं पर अभी जांच करने के निर्देश भी दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि आरोपी ठेकेदार का रिमांड खत्म होने से पहले ही मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
पार्षदों ने की थी बगैर काम के 50 करोड़ भुगतान की शिकायत
कोरोना काल में सात जुलाई-2020 को पांच पार्षदों दीपक चौधरी, कपिल डागर, दीपक यादव, सुरेंद्र अग्रवाल व महेंद्र सिंह ने नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त डॉ. यश गर्ग को एक शिकायत दी थी कि उनके वार्डों में विकास कार्य हुए नहीं हैं और करीब 50 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। इस पर निगमायुक्त ने संयुक्तायुक्त की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया। मामला राज्य सरकार तक पहुंचा तो सरकार ने मामले की जांच 05 फरवरी 2021 को विजिलेंस को सौंपी गई।
कुछ आरोपी हो चुके हैं बर्खास्त
विजिलेंस ने आरोपी ठेकेदार के साथ जो अन्य अन्य कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है। उनमें से कुछ को पहले ही नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है। निवर्तमान पार्षद जसवंत ने बताया कि जो मुकदमा दर्ज किया गया है, उसमें कनिष्ट अभियंता शेरसिंह की मृत्यु हो चुकी है। लिपिक पंकज, प्रदीप और तस्लीम को पहले ही नौकरी से निकाला जा चुका है। ये तीनों आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे थे। प्रेमराज सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वैसे भी इन अधिकारियों से कभी उनका मिलना नहीं हुआ।
निगम घोटाले की सीबीआई जांच हो
नगर निगम में हुए 200 करोड़ रुपये घोटले को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा के बाद आम आदमी पार्टी ने भी इस मामले पर अपना बात रखी है। गुरुवार को अपने कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष धर्मबीर भड़ाना ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस मामले में बड़े अधिकारी भी शामिल रहे हैं, क्योंकि उनके बिना इतना बड़ा घोटाला नहीं हो सकता था। अधिकारियों की अनुमति के बाद ही ठेकेदार को भुगतान किया गया होगा। भड़ाना ने नाम लिए बिना कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा पर भी तंज कसा है। कुछ लोग अपने पाप को छुपाने का नाटक कर रहे हैं।
लागत को बढ़ाकर किया गया घोटाला
सूत्रों के मुताबिक जांच में पाया गया कि बगैर काम के भुगतान के अलावा कुछ मामलों में एस्टीमेट में काम की लागत को कई बार बढ़ाकर भी घोटाला किया गया। उदाहरण के तौर पर जैसे वार्ड-14 में इंटरलॉकिंग के काम का एस्टीमेट 54.36 लाख तैयार किया गया। लेकिन इसे दो बार में बदलते हुए 1.97 करोड़ रुपये का किया गया। इसी मामले में आरोपी ठेकेदार को गिरफ्तार किया गया।